"मां..प्लेन टेकऑफ होने वाला है..." मनीषा की आखिरी बात, अब लौटकर कभी नहीं आएगी

यह आखिरी बात थी जो मनीषा थापा ने अपनी मां से गुरुवार को कही थी। उसकी मां ने भी सादगी से जवाब दिया—"ठीक है बेटा... हम भी जा रहे घर का काम समाप्त कर लें।" लेकिन अब मनीषा कभी लौटकर अपनी मां से बात नहीं कर पाएगी। वह सफर, जो एक नई उम्मीद लेकर शुरू हुआ था, अब मातम की कहानी बन चुका है।
गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में दर्जनों लोगों की मौत हो गई, जिनमें मनीषा थापा भी शामिल थीं। हादसे के बाद मनीषा की मां बदहवास हैं। बार-बार बस यही कहती हैं—"वो तो कह रही थी लौटकर बात करेंगे... अब क्या सिर्फ उसकी आवाज़ ही रह गई?"
मनीषा पेशे से एक मेडिकल रिसर्चर थीं और लंदन में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए रवाना हो रही थीं। उड़ान से ठीक पहले उन्होंने अपनी मां को कॉल किया था। मां-बेटी के बीच हुई यह बातचीत अब परिजनों के दिलों में आखिरी स्मृति बनकर रह गई है।
परिवार वालों के अनुसार, मनीषा का सपना था कि वह विदेश में काम कर देश का नाम रोशन करे। उसने दिन-रात मेहनत करके यह मौका हासिल किया था। वह पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर अकेले जा रही थी और पूरे परिवार में खुशी का माहौल था। लेकिन किसे पता था कि यह खुशी कुछ घंटों में मातम में बदल जाएगी।
घटना की सूचना मिलते ही पूरा परिवार शोक में डूब गया। घर पर रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर आंख नम है, हर चेहरा स्तब्ध। मनीषा की मां बेसुध हैं और बार-बार फोन की उस रिकॉर्डिंग को सुन रही हैं जिसमें उनकी बेटी ने आखिरी बार उन्हें "मां" कहकर पुकारा था।
सरकारी स्तर पर राहत और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। लेकिन एक मां के लिए उस आखिरी कॉल की कीमत किसी मुआवजे से पूरी नहीं हो सकती।
गुजरात प्लेन हादसा सिर्फ एक तकनीकी विफलता नहीं, कई परिवारों के लिए जीवन भर का जख्म बन चुका है। मनीषा की कहानी उन सैकड़ों कहानियों में से एक है, जहां सपनों ने उड़ान भरी लेकिन धरती पर लौटने से पहले ही बिखर गए।