मखाना अनुसंधान को दी नई पहचान, 23 वर्षों से किसानों के जीवन में बदलाव ला रहा यह विशिष्ट केंद्र
बिहार को मखाना उत्पादन के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में जिस संस्थान की सबसे बड़ी भूमिका रही है, वह है 28 फरवरी 2002 को स्थापित मखाना अनुसंधान केंद्र। यह केंद्र दुनिया का एकमात्र ऐसा संस्थान माना जाता है, जो पूरी तरह मखाना की खेती, अनुसंधान, तकनीक और कृषि-उद्योग विकास को समर्पित है। पिछले 23 वर्षों में इस केंद्र ने न सिर्फ मखाना किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि इस पारंपरिक फसल को वैश्विक बाजार में नई पहचान भी दिलाई है।
मखाना खेती को वैज्ञानिक आधार दिया
शुरुआत में मखाना पारंपरिक तरीकों से केवल बिहार के सीमित इलाकों में उगाया जाता था। लेकिन वैज्ञानिक अनुसंधान और नई तकनीकों के विकास ने इसे एक लाभकारी व वैज्ञानिक खेती के दायरे में लाकर खड़ा कर दिया।
केंद्र द्वारा—
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उन्नत मखाना किस्मों का विकास
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आधुनिक फसल प्रबंधन तकनीक
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बीज वितरण और उत्पादन सुधार
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कटाई-उपरांत प्रबंधन तकनीक
जैसी योजनाओं ने किसानों की उपज कई गुना बढ़ाई है। आज मखाना न केवल ताल-पोखरों तक सीमित है, बल्कि कुट्टाई विधि और अन्य नवाचारों के जरिए नई भूमि पर भी बड़े पैमाने पर उत्पादित हो रहा है।
किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम बना आधार
केंद्र द्वारा संचालित व्यापक किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया।
प्रशिक्षण में शामिल विषय:
✔ वैज्ञानिक बुवाई
✔ पौध संरक्षण
✔ प्रोसेसिंग
✔ मार्केट लिंकिंग
इससे हजारों परिवारों को सीधे रोजगार मिला है और मखाना आधारित माइक्रो-उद्योग तेजी से विकसित हुए हैं।
वैश्विक बाजार तक फैला व्यापार
प्रसंस्कृत मखाना आज देश की सीमाओं से बाहर निकलकर अमेरिका, यूरोप, जापान और मध्य-पूर्व के बाजारों में अपनी मजबूत पकड़ बना चुका है।
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मखाने को सुपरफूड का दर्जा
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हेल्थ-न्यूट्रिशन मार्केट में मांग में भारी वृद्धि
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निर्यात में निरंतर बढ़ोतरी
इन उपलब्धियों के पीछे केंद्र के वैज्ञानिकों की अनुसंधान क्षमता और तकनीकी नवाचार ही मुख्य कारण हैं।
स्वास्थ्य व न्यूट्रिशन में अग्रणी
मखाना उच्च पोषण मूल्य वाली फसल मानी जाती है।
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कम कैलोरी
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अधिक प्रोटीन
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एंटी-ऑक्सीडेंट गुण
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ग्लूटेन फ्री
इन विशेषताओं के कारण यह हेल्थ-कॉन्शियस उपभोक्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। अनुसंधान केंद्र ने इसके बारे में जागरूकता को नई दिशा दी है।
बिहार की आर्थिक ताकत
यह केंद्र न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि—
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बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
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महिला-समूह आधारित उद्योगों को सहयोग
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युवाओं के लिए स्टार्ट-अप अवसर
भी प्रदान कर रहा है।

