'बिहार में फिर लौट आया महा जंगलराज....' तेज प्रताप ने नितीश कुमार पर कसा तंज, वायरल वीडियो में कानून-व्यवस्था पर खड़े किए बड़े सवाल
बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। राजद नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है और राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, "क्या बिहार में फिर से महाजंगलराज लौट आया है? अब अपराधी दिनदहाड़े लोगों की हत्या कर रहे हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।" तेज प्रताप यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले कुछ दिनों में राज्य के कई जिलों में अपराध की गंभीर घटनाएं सामने आई हैं। हत्या, लूट, अपहरण और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे आम जनता में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ी है। अपने सोशल मीडिया पोस्ट और पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेज प्रताप ने आरोप लगाया कि नीतीश सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है और प्रशासनिक व्यवस्था पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है।
उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार अब केवल अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं। वह सत्ता बदलने में माहिर हैं, लेकिन जनता की सुरक्षा और विकास जैसे मुद्दे उनकी प्राथमिकता नहीं हैं।" राजद नेता ने यह भी दावा किया कि जब लालू प्रसाद यादव सत्ता में थे, तब भाजपा और जदयू महाजंगलराज के नाम पर हमला करते थे, लेकिन अब वही स्थिति फिर से लौटती दिख रही है। तेज प्रताप ने सवाल उठाया कि अब जब हत्या और डकैती आम हो गई है, तो भाजपा और नीतीश कुमार चुप क्यों हैं?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप का यह बयान आगामी विधानसभा चुनाव से पहले माहौल बनाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। विपक्ष लगातार सरकार की नाकामियों की ओर जनता का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा है।वहीं, जदयू और भाजपा नेताओं ने तेज प्रताप यादव के बयान को "सियासी नाटक" करार दिया है। जदयू प्रवक्ता ने कहा, "बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है। कुछ घटनाएं चिंता का विषय ज़रूर हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य में जंगलराज आ गया है।"
हालांकि, ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि अपराध की हालिया घटनाएं सरकार की छवि को नुकसान पहुँचा रही हैं। सोशल मीडिया पर आम लोग भी क़ानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं और सुरक्षा व्यवस्था की माँग कर रहे हैं।फ़िलहाल, तेज प्रताप यादव का यह हमला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एक और राजनीतिक चुनौती बनकर उभरा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में विपक्ष इस मुद्दे को कितना भुना पाता है।

