Samachar Nama
×

गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि से मदारपुर गांव का संपर्क टूटा, ग्रामीण 'कराह' के सहारे जान जोखिम में डाल रहे सफर

गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि से मदारपुर गांव का संपर्क टूटा, ग्रामीण 'कराह' के सहारे जान जोखिम में डाल रहे सफर

पश्चिम चंपारण जिले के योगापट्टी प्रखंड अंतर्गत चौमुखा पंचायत के मदारपुर गांव में गंडक नदी के बढ़ते जलस्तर ने लोगों की जिंदगी को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। लगातार हो रही बारिश और नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण गंडक नदी उफान पर है। इसका सबसे बुरा असर मदारपुर गांव पर पड़ा है, जहां नदी का पानी अब गांव के मुख्य संपर्क मार्ग पर चढ़ आया है

करीब 10 फीट तक सड़क जलमग्न हो चुकी है, जिससे मदारपुर गांव का आसपास के इलाकों से संपर्क पूरी तरह कट गया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि ग्रामीणों को नाव के अभाव में ‘कराह’ (ड्रम या ट्यूब से बनी अस्थायी नाव) के सहारे आवागमन करना पड़ रहा है। यह तरीका न केवल असुरक्षित है, बल्कि किसी बड़ी अनहोनी की आशंका भी जताई जा रही है।

बाढ़ प्रबंधन की पोल खुली

स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को हर साल इस स्थिति का अंदेशा रहता है, फिर भी बाढ़ से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। न नाव की व्यवस्था है, न वैकल्पिक संपर्क मार्ग। स्कूल जाने वाले बच्चे, मरीज, बुजुर्ग और महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर स्थिति यही रही, तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।

प्रशासन मौन, ग्रामीण परेशान

ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार नाव या वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की, लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं पहुंचाई गई है। वहीं, गांव में पीने के पानी और खाद्य सामग्री की समस्या भी उभरने लगी है। कई लोग अब अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, और जरूरी सेवाएं ठप हो गई हैं।

ग्रामीणों की चिंता

ग्रामीणों का कहना है कि “हर साल गंडक नदी का जलस्तर बढ़ता है, लेकिन इस बार स्थिति ज्यादा भयावह हो गई है। प्रशासन सिर्फ कागजों पर योजनाएं बनाता है, जमीनी स्तर पर कुछ नहीं होता।" बच्चों की पढ़ाई, रोज़गार और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं।

क्या कहता है प्रशासन?

अब तक स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, योगापट्टी बीडीओ और अंचलाधिकारी को स्थिति की जानकारी दे दी गई है और जल्द राहत और बचाव कार्य शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन जब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता, ग्रामीणों को इसी तरह जान जोखिम में डालकर जीवन जीना पड़ेगा।

Share this story

Tags