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बाबा साहेब के अपमान लिए लालू प्रसाद देश से माफी मांगे 

बाबा साहेब के अपमान लिए लालू प्रसाद देश से माफी मांगे

बिहार में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी लगातार विवादों में घिरती जा रही है. लालू प्रसाद यादव पर संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. हाल ही में बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के प्रेम प्रसंग को लेकर उठे विवाद के बाद अब आरजेडी सुप्रीमो खुद बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर का अपमान करने के विवाद में फंस गए हैं. वे अपने 78वें जन्मदिन पर थे. जब एक शख्स उन्हें बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर लेकर बधाई देने पहुंचा. तस्वीर देते हुए वह तस्वीरें लेने लगा. उसने तस्वीर को इस तरह पकड़ा कि वह लालू यादव के पैरों के पास दिखाई दी. फिर 3 दिन बाद घटना का वीडियो वायरल हुआ और सियासी बवाल मच गया. विधानसभा चुनाव से पहले यह विवाद आरजेडी की छवि पर गहरा असर छोड़ सकता है. कयास लगाए जा रहे हैं कि यह विवाद आरजेडी की किस्मत बदल सकता है. आइए समझते हैं कैसे...

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने क्या कहा?

अंबेडकर फोटो विवाद के बाद राजनीतिक पार्टियां लगातार लालू प्रसाद यादव पर निशाना साध रही हैं. राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, "बाबा साहब के अपमान का वीडियो सामने आए 36 घंटे से ज्यादा हो गए हैं। उस वीडियो से पूरा बिहार दुखी है, लेकिन अभी तक राजद की ओर से दुख के दो शब्द भी नहीं निकले हैं। हालांकि, लालू प्रसाद के लाडले बेटे तेजस्वी का अहंकार बिहार ने जरूर देखा है। तेजस्वी ने बाबा साहब के अपमान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने इसे तुच्छ विषय बताया। हमारा सवाल यह है कि बाबा साहब की तस्वीर को उनके पैरों के पास रखकर उनका अपमान करने के बाद भी लालू जी के लाडले बेटे को इसमें अपमान महसूस नहीं होता, तो फिर और किस अपमान के बाद राजद यह स्वीकार करेगा कि उसका अपमान हुआ है? राजद पहले बाबा साहब का 'अपमान' करती है और फिर 'अहंकार' दिखाती है। बाबा साहब के अपमान की जो तस्वीर वीडियो में सबने देखी है, वही राजद का असली चरित्र है।"

राजद पर क्या पड़ेगा असर?

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सभी दल अपने वोट बैंक को गोलबंद करने में जुटे हैं। लेकिन बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर के अपमान का विवाद राजद पर बुरा असर डाल सकता है. इससे राजद दलित वोट बैंक पर नियंत्रण खो सकता है. आपको बता दें कि बिहार में 18 से 20% आबादी दलित है. कुल दलित आबादी का 31.3% चमार जाति से ताल्लुक रखता है. दूसरे नंबर पर दुसाध जाति है. कुल अनुसूचित जाति की आबादी का 30.9% दुसाध या पासवान से ताल्लुक रखता है. इसके बाद क्रमशः मुसहर, पासी, धोबी और भुईया जातियों की आबादी है. यानी बिहार में सरकार बनाने और समीकरण बिगाड़ने में दलित समुदाय की भूमिका रहती है. पिछले चुनाव की बात करें तो 2020 में 38 दलित विधायक चुनाव जीते थे. इसमें पासवान जाति से 13, रविदास जाति से 13, मुसहर समुदाय से 7, पासी जाति से 3 और मेहतर जाति से एक विधायक शामिल हैं.

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