बिहार में ‘जीविका’ बना महिलाओं की आत्मनिर्भरता की पहचान, ग्रामीण इलाकों में बदल रही जिंदगी
बिहार में राज्य सरकार द्वारा संचालित जीविका कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव की नई कहानी लिख रहा है। यह योजना न केवल महिलाओं को रोजगार से जोड़ रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त भी कर रही है। सिलाई, बकरी पालन, मुर्गी पालन और छोटे व्यवसायों से जुड़कर महिलाएं अब अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं और परिवार की आय में अहम योगदान दे रही हैं।
राज्य के विभिन्न जिलों के ग्रामीण इलाकों में स्वयं सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी महिलाएं जीविका कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता प्राप्त कर रही हैं। पहले जो महिलाएं घर की चारदीवारी तक सीमित थीं, वे आज स्वरोजगार के माध्यम से परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं। सिलाई-कढ़ाई से लेकर बकरी पालन जैसे कार्यों ने महिलाओं के लिए आय के नए स्रोत खोले हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों की कई महिलाएं बताती हैं कि जीविका से जुड़ने के बाद उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। पहले जहां उन्हें घरेलू खर्चों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, वहीं अब वे खुद कमाकर बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और घर के जरूरी खर्चों में योगदान दे रही हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी हुई है।
जीविका कार्यक्रम का उद्देश्य केवल रोजगार देना ही नहीं, बल्कि महिलाओं की सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाना भी है। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं आपस में जुड़ती हैं, सामूहिक निर्णय लेती हैं और सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाने लगी हैं। इससे गांवों में महिलाओं की भागीदारी और पहचान मजबूत हुई है।

