जगदलपुर के शासकीय नर्सिंग कॉलेज में धार्मिक स्थल हटाने पर प्राचार्या को हटाया गया, वार्डन के खिलाफ कार्रवाई का अभाव

जगदलपुर के महारानी अस्पताल के पीछे स्थित शासकीय नर्सिंग कॉलेज में हाल ही में एक धार्मिक स्थल को हटाए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस विवाद के बाद कॉलेज की प्राचार्या को उनके पद से हटा दिया गया है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में अभी तक कॉलेज की वार्डन के खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
क्या था मामला?
घटना के अनुसार, शासकीय नर्सिंग कॉलेज में एक धार्मिक स्थल, जो छात्रों और कर्मचारियों के लिए आस्था का केंद्र था, अचानक हटा दिया गया। यह कदम तब उठाया गया जब कॉलेज प्रशासन ने इसे कॉलेज परिसर के नियमों और आस्थाओं से मेल न खाने वाला समझा। इस निर्णय के बाद छात्रों और स्थानीय समुदाय में काफी नाराजगी पैदा हो गई, जिससे विवाद और बढ़ गया।
प्राचार्या को क्यों हटाया गया?
मामले में प्रशासन ने जल्द ही कार्रवाई करते हुए कॉलेज की प्राचार्या को पद से हटा दिया। माना जा रहा है कि इस विवाद के लिए वह जिम्मेदार थीं, क्योंकि धार्मिक स्थल हटाने का निर्णय उनके नेतृत्व में लिया गया था। हालांकि, उन्हें इस कदम के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया, जबकि वार्डन, जो इस फैसले के कार्यान्वयन में शामिल थे, पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वार्डन पर कार्रवाई क्यों नहीं?
इस मामले को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि वार्डन के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। कई लोगों का मानना है कि वार्डन का भी इस निर्णय में अहम योगदान था और उन्हें भी प्रशासन की ओर से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए था। लेकिन अब तक इस मामले में वार्डन के खिलाफ कोई जांच या कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे स्थानीय स्तर पर असंतोष और बढ़ता जा रहा है।
कई सवाल बने हुए हैं
यह मामला अब कई सवालों को जन्म दे रहा है, जिनमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक महत्वपूर्ण निर्णय में कॉलेज के प्रशासन के अन्य सदस्य, जैसे वार्डन, की भूमिका को नजरअंदाज क्यों किया गया? क्या यह सिर्फ एक गलती थी या प्रशासन ने जानबूझकर अन्य जिम्मेदारों को बचाने की कोशिश की है?
नागरिकों और छात्रों की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर छात्रों और नागरिकों के बीच भी गहरी निराशा है। कई छात्र इस निर्णय से नाराज हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी आस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया गया। इसके अलावा, यह मामला शिक्षा और प्रशासन के बीच विवादों को भी उजागर करता है, जहां धार्मिक आस्थाओं और विश्वविद्यालय के नियमों के बीच संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
अधिकारियों से आगामी कार्रवाई की उम्मीद
अब सभी की निगाहें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस मामले में और किस प्रकार की कार्रवाई करता है। क्या वार्डन के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी? क्या इस विवाद को लेकर कॉलेज प्रशासन कोई नया दिशा-निर्देश जारी करेगा? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिल सकते हैं।