'इसका प्रविधान तो संविधान में है', बिहार चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पर बवाल, अब चुनाव आयोग का आया जवाब

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। विपक्षी दल चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। इन सबके बीच सोमवार (30 जून 2025) को चुनाव आयोग ने कहा कि इसका पुनरीक्षण इसलिए जरूरी है क्योंकि मतदाता सूची कई कारणों से बदलती रहती है और संविधान में प्रावधान है कि केवल योग्य नागरिक ही मतदाता सूची का हिस्सा होने चाहिए और जो योग्य नहीं हैं उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होना चाहिए। विपक्षी दलों का कहना है कि गहन पुनरीक्षण के कारण राज्य मशीनरी का उपयोग करके मतदाताओं को जानबूझकर बाहर किए जाने का खतरा है। इस संबंध में चुनाव आयोग ने बयान जारी कर कहा कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण बहुत जरूरी है, क्योंकि यह एक गतिशील सूची है, जो मृत्यु, लोगों के पलायन और 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नए मतदाताओं के जुड़ने के कारण बदलती रहती है। 'संविधान का अनुच्छेद 326 किसी व्यक्ति को मतदाता बनने के योग्य बनाता है'
चुनाव आयोग ने कहा, "इन सबके अलावा, संविधान का अनुच्छेद 326 किसी व्यक्ति को मतदाता बनने के योग्य बनाता है। केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिक और उस निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी ही मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।" चुनाव आयोग ने कहा कि उसने बिहार की 2003 की मतदाता सूची अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण है। 2003 की सूची में शामिल लोग अपने गणना फॉर्म जमा करते समय इसे दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।