यह NRC जैसा है, लाखों वोटर्स को मतदान से रोकने की साजिश... चुनाव आयोग के नए नियम से बिहार में बड़ा सियासी बवाल

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक नया राजनीतिक बवाल शुरू हो गया है। विपक्षी दलों ने एक बार फिर चुनाव आयोग को निशाने पर लिया है, लेकिन इस बार मामला अलग है। दरअसल, चुनाव आयोग बिहार में मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए विशेष अभियान चला रहा है। इसके तहत सभी मतदाताओं को अपनी नागरिकता और जन्म से जुड़े दस्तावेज जमा कराने होंगे। इस कदम का मकसद मतदाता सूची से गलत नामों को हटाना है। हालांकि, विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टियां आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) और सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) इस फैसले का विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि चुनाव से पहले ऐसा करना गलत है। आरजेडी नेता चित्तरंजन गगन ने कहा कि उनकी पार्टी इस तरह के काम के खिलाफ है। उन्होंने कहा, 'हमने मुख्य चुनाव आयुक्त से कहा कि राज्य में लाखों परिवारों के पास वो दस्तावेज नहीं हैं, जिनकी मांग की जा रही है, यह लाखों मतदाताओं को मतदान से रोकने की साजिश है।' सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि यह एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) जैसा है। उन्होंने कहा, 'इतना बड़ा काम एक महीने में कैसे हो सकता है? यह सब गलत है। चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होने चाहिए, जिसमें सभी शामिल हों।'
'लोगों को वोट देने से रोकने का तरीका'
विपक्षी दलों का कहना है कि यह लोगों को वोट देने से रोकने का तरीका है। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि मतदाता सूची को साफ और सही रखने के लिए यह कदम जरूरी है। यह मुद्दा बिहार में राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। चुनाव आयोग के इस कदम ने बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपनी राय दे रहे हैं। इस बीच, बिहार में चुनाव आयोग के नए नियमों पर काम शुरू हो गया है। राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाताओं की जांच करेंगे। यह काम 26 जुलाई तक चलेगा।