सिवान में इंकलाबी नौजवान सभा और आइसा का विरोध मार्च, मतदाता सूची पुनरीक्षण को "नागरिकता की जांच" करार दिया
बिहार के सिवान जिले में इंकलाबी नौजवान सभा (INSA) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के संयुक्त तत्वावधान में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ एक विरोध मार्च आयोजित किया गया। मार्च अंबेडकर पार्क से शुरू होकर जेपी चौक तक गया, जहां पर एक नुक्कड़ सभा का आयोजन किया गया।
विरोध मार्च की मुख्य बातें
विरोध मार्च में सैकड़ों की संख्या में छात्र, युवा और समाज के विभिन्न तबकों से जुड़े लोग शामिल हुए। झंडे, बैनर और नारों के साथ प्रदर्शनकारियों ने मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया के खिलाफ आवाज उठाई। इस दौरान प्रदर्शकारियों ने इसे "नागरिकता की जांच" और "गरीबों और वंचितों के अधिकारों पर हमला" करार दिया।
आयोजकों का कहना था कि यह प्रक्रिया लोगों के नागरिक अधिकारों को नकारने की साजिश है, जो संविधान और लोकतंत्र की मूलभावनाओं के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट में नाम काटने और पुनरीक्षण के दौरान नफरत और भेदभाव का माहौल पैदा किया जा रहा है, जिससे गरीब, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को मतदान से वंचित किया जा सकता है।
नुक्कड़ सभा में उठाए गए सवाल
मार्च के समापन पर जेपी चौक पर आयोजित नुक्कड़ सभा में नेताओं और प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग से सवाल पूछा कि आखिर क्यों गरीब और वंचित वर्ग के लोग इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
आइसा और इंकलाबी नौजवान सभा के नेताओं ने कहा:
“यह केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह नागरिकता का सवाल बन चुका है। हम इस प्रक्रिया को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।”
नेताओं ने यह भी कहा कि इस पुनरीक्षण के नाम पर शासन-प्रशासन द्वारा योजनाबद्ध तरीके से वोटरों के नाम कटवाए जा रहे हैं, जिससे आने वाले चुनावों में लोकतंत्र का हक केवल कुछ विशेष वर्ग के पास ही रह जाएगा।
छात्र-युवा संगठनों का आंदोलन
आइसा और इंकलाबी नौजवान सभा ने इस आंदोलन को छात्रों और युवाओं का आंदोलन बताते हुए कहा कि वे आने वाले दिनों में समाज के सभी वर्गों को जोड़कर इस मुद्दे पर और व्यापक आंदोलन चलाएंगे। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से इस अभियान को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग की।

