बक्सर के ब्रह्मपुर में बिना सर्वे के लागू हुआ होल्डिंग टैक्स, स्थानीय लोगों में नाराज़गी बढ़ी
बक्सर जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड में नगर पंचायत प्रशासन द्वारा बिना पूर्व सर्वेक्षण और जनसुनवाई के होल्डिंग टैक्स लागू कर दिया गया है। इस फैसले ने स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। नागरिकों का कहना है कि अचानक और बिना किसी स्पष्ट सूचना के तीन वर्षों का अतिरिक्त टैक्स बोझ डालना नियमों की खुली अवहेलना है।
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि प्रशासन ने जिन घरों और संपत्तियों पर टैक्स निर्धारित किया है, उनमें से अधिकांश पर न तो सही तरीके से मापन कार्य किया गया और न ही लोगों की राय ली गई। ऐसे में मनमाने तरीके से होल्डिंग टैक्स थोपने की कार्रवाई को लोग पूरी तरह अनुचित मान रहे हैं।
जनता का कहना है कि नगर पंचायत के गठन के बाद से ही विकास के नाम पर केवल टैक्स वसूली की प्रक्रिया तेज की जा रही है, जबकि क्षेत्र में अब भी न तो सड़क, न नाली और न ही पानी की बेहतर व्यवस्था उपलब्ध है। लोगों का सवाल है कि जब बुनियादी सुविधाएँ ही नदारद हैं, तो आखिर टैक्स किस बात का वसूला जा रहा है?
स्थानीय लोगों ने जताई नाराज़गी, किया विरोध
ब्रह्मपुर के कई मोहल्लों में प्रशासन के इस फैसले का विरोध शुरू हो चुका है। लोगों का कहना है कि बिना जनहित को ध्यान में रखे अचानक इस तरह का निर्णय लेना पूरी तरह मनमानी है। उनका कहना है कि तीन साल का बकाया एक साथ थोपकर जनता को आर्थिक रूप से परेशान किया जा रहा है।
कुछ लोगों ने यह भी बताया कि उन्हें नोटिस अचानक भेज दिया गया, जिसमें बकाया राशि जमा करने के लिए सीमित समय दिया गया है। इससे लोगों में यह आशंका बढ़ गई है कि भुगतान न करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है।
विकास के बिना टैक्स वसूली पर सवाल
निवासियों ने यह भी कहा कि नगर पंचायत बनने के बाद से अब तक कोई भी उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं हुआ। मोहल्लों में जलजमाव, खराब सड़कें और गंदगी की समस्या पहले की तरह ही बनी हुई है।
लोगों का कहना है कि प्रशासन पहले क्षेत्र में आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाए, उसके बाद टैक्स वसूली पर कार्रवाई करे।
फैसले को वापस लेने की मांग तेज
इस पूरे विवाद को लेकर ग्रामीणों की मांग है कि पहले सर्वे किया जाए, जनता को जानकारी दी जाए और उनकी राय लेकर ही टैक्स निर्धारण हो। साथ ही तीन वर्ष के बकाया को तुरंत समाप्त करके प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जाए।
लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि फैसला वापस नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। जल्द ही स्थानीय स्तर पर जन-आंदोलन और हस्ताक्षर अभियान चलाने की तैयारी भी की जा रही है।
प्रशासन की चुप्पी बरकरार
हालांकि इस मामले में प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लोगों को उम्मीद है कि उनकी मांगों पर जल्द सकारात्मक कदम उठाया जाएगा।
स्थानीय निवासियों का साफ कहना है कि वे विकास के लिए टैक्स देने को तैयार हैं, लेकिन बिना सुनवाई और अधिकारों का सम्मान किए मनमानी तरीके से बोझ डालना किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होगा

