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बिहार की राजनीति में एनडीए में बढ़ती खलबली, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का तीखा रुख

बिहार की राजनीति में एनडीए में बढ़ती खलबली, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का तीखा रुख

बिहार की सियासत में इन दिनों एनडीए खेमे से ‘तबले की थाप’ गूंज रही है, और इसका असर महागठबंधन से कहीं ज्यादा एनडीए में देखा जा रहा है। जैसे-जैसे 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बिहार की राजनीति में तनाव और हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन को लेकर तो कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं, लेकिन इस बार एनडीए में अंदरूनी खलबली बढ़ती जा रही है, जो पार्टी में तनाव और विभाजन के संकेत दे रही है।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का बढ़ा हुआ रुख:

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का रुख इस बार काफी तीखा हो गया है। जहां एक ओर पार्टी सुप्रीमो चिराग पासवान चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं उनके बहनोई और जमुई के सांसद अरुण भारती ने मोर्चा खोल रखा है। अरुण भारती ने कई बार एनडीए के नेतृत्व और अन्य सहयोगी दलों पर निशाना साधते हुए अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाई है। उनके तेवर साफ दिखाते हैं कि लोजपा (रामविलास) को अब एनडीए में अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है।

एनडीए में अंदरूनी संघर्ष:

एनडीए के भीतर इस समय सीट बंटवारे और राजनीतिक प्राथमिकताओं को लेकर खींचतान बढ़ गई है। चिराग पासवान हालांकि सार्वजनिक रूप से शांत दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उनके करीबी और पार्टी के कुछ प्रमुख नेता एनडीए में अपनी हिस्सेदारी को लेकर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं। एनडीए के अन्य सहयोगी दलों के साथ समझौतों और सीटों की भागीदारी को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी में नाराजगी पाई जा रही है, जो आने वाले चुनावों के लिए गठबंधन के अंदर तनाव का कारण बन सकती है।

इस संघर्ष के बीच यह संभावना जताई जा रही है कि लोजपा (रामविलास) अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कड़ी रणनीतियाँ अपनाएगी, और इस परिप्रेक्ष्य में वह गठबंधन के अंदर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगी। यह संघर्ष बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए की राजनीतिक रणनीति को प्रभावित कर सकता है, जिससे आगामी चुनावी स्थिति में बदलाव हो सकता है।

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