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गोपाल खेमका हत्याकांड, तीन दिन बाद भी खाली हाथ पुलिस, बेऊर जेल से जुड़े तारों ने खोले सिस्टम की पोल

गोपाल खेमका हत्याकांड: तीन दिन बाद भी खाली हाथ पुलिस, बेऊर जेल से जुड़े तारों ने खोले सिस्टम की पोल

बिहार के चर्चित कारोबारी गोपाल खेमका हत्याकांड को लेकर राजधानी पटना की कानून-व्यवस्था एक बार फिर कठघरे में है। हत्या के तीन दिन बीत जाने के बावजूद भी पटना पुलिस अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। हत्यारे कौन थे, किसने सुपारी दी, क्या वजह थी—इन सवालों के जवाब फिलहाल अधूरे हैं। हालांकि पुलिस ने इस हत्याकांड के तार पटना की बेऊर जेल में बंद कुख्यात अपराधियों से जुड़ने का दावा किया है।

क्या बेऊर जेल से रची गई थी हत्या की साजिश?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच में यह बात सामने आई है कि गोपाल खेमका की हत्या की साजिश बेऊर जेल में बंद अपराधियों द्वारा रची गई हो सकती है। कुछ मोबाइल नंबर और कॉल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने बेऊर जेल के अंदर की गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब जेल में बंद अपराधी आराम से हत्या की योजना बना सकते हैं, तो आखिर सुरक्षा व्यवस्था कितनी प्रभावी है?

तीन दिन बाद भी न गिरफ्तारी, न मुख्य सुराग

घटना के बाद से पुलिस ने कई स्थानों पर छापेमारी और पूछताछ का दावा किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। न ही हत्या की पुख्ता वजह सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, हत्या से ठीक पहले खेमका को कुछ धमकी भरे कॉल आए थे, लेकिन इन कॉल्स के पीछे किसका हाथ था, इसका पता लगाने में पुलिस अभी तक असफल रही है।

कारोबारी समुदाय में दहशत, सिस्टम पर सवाल

गोपाल खेमका पटना के जाने-माने व्यवसायी थे। उनकी दिनदहाड़े हुई हत्या ने पूरे कारोबारी समुदाय में दहशत पैदा कर दी है। साथ ही एक बार फिर सिस्टम और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या राजधानी में कोई भी सुरक्षित नहीं है? क्या अपराधी जेल के भीतर से भी व्यवसायियों को निशाना बना सकते हैं?

सरकार और प्रशासन पर बढ़ा दबाव

हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए यह मामला अब राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष लगातार नीतीश सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है। कारोबारी संगठनों ने भी प्रशासन से जल्द कार्रवाई और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है।

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