
गंगा दशहरा का पावन पर्व 5 जून गुरुवार को मनाया जाएगा। जेठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा कहते हैं। इस दिन गंगा के धरती पर अवतरण की मुख्य तिथि मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, गंगा पूजन, दान, व्रत और गंगाजी के स्तोत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या घर पर शुद्ध जल से स्नान करने के बाद नारायण, शिव, ब्रह्मा, सूर्य, राजा भगीरथ और हिमालय की पूजा का विधान है। पूजा में दस प्रकार के पुष्प, दशांग धूप, दीप, प्रसाद, सुपारी और दस फल शामिल करने चाहिए। दस ब्राह्मणों को दक्षिणा देने का भी विधान है। यह दिन सभी शुभ कार्यों के लिए सबसे शुभ समय माना जाता है।
उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्ष विद्या शिक्षण तमिल सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के आचार्य सुशील कुमार पांडेय ने दी। उन्होंने कहा कि ब्रह्म पुराण के अनुसार हस्त नक्षत्र से युक्त शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा कहा जाता है, क्योंकि इस दिन दस प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं जैसे बिना अनुमति के दूसरे की संपत्ति लेना, हिंसा, व्यभिचार, कटु वचन, झूठ बोलना, निन्दा करना, अपशब्द या चुगली करना, बिना प्रयोजन के बोलना, दूसरे की संपत्ति को अन्यायपूर्वक लेने की सोचना, दूसरों का बुरा सोचना तथा नास्तिक मानसिकता रखना। उन्होंने कहा कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं तथा व्यक्ति को असाधारण पुण्य की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, जो व्यक्ति सौ योजन दूर से भी गंगा का स्मरण करता है, उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं तथा वह अंत में विष्णु लोक को जाता है। अग्नि पुराण के अनुसार इस लोक में जो व्यक्ति देवी भागीरथी मां गंगा का दर्शन करता है, स्पर्श करता है, जल पीता है तथा उनका नाम जपता है, वह सैकड़ों-हजारों पीढ़ियों को पवित्र कर देता है।