Samachar Nama
×

खेतों से खुशहाली तक: सालभर साग-सब्जी की खेती से किसानों को हो रही अच्छी आमदनी

खेतों से खुशहाली तक: सालभर साग-सब्जी की खेती से किसानों को हो रही अच्छी आमदनी

बदलते समय के साथ किसान अब पारंपरिक खेती के साथ-साथ साग-सब्जियों की विविध खेती की ओर भी रुख कर रहे हैं। खेतों में सालभर तरह-तरह की हरी सब्जियों और मौसमी फसलों की उपज कर किसान न सिर्फ अच्छी आमदनी कमा रहे हैं, बल्कि स्थायी रोजगार और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी बनते जा रहे हैं।

कई किसान अब एक ही साल में पालक, मेथी, सरसों, धनिया, परवल, भिंडी, बैंगन, टमाटर, मिर्च, लौकी, करेला जैसी दर्जनों सब्जियों की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है और स्थानीय बाजारों में सीधी बिक्री से उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है।

कम लागत, अधिक मुनाफा
विशेषज्ञों का मानना है कि सब्जी उत्पादन की लागत पारंपरिक फसलों की तुलना में कम है, लेकिन बाजार में इनकी मांग सालभर बनी रहती है। खासकर हरी पत्तेदार सब्जियां तो रोजाना बिकती हैं, जिससे किसानों को नियमित आय का स्रोत मिल जाता है।

कृषि तकनीक और प्रशिक्षण की भूमिका
कई किसानों ने कृषि विभाग या गैर-सरकारी संगठनों द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर जैविक खेती, मल्चिंग, ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाया है। इससे पैदावार में बढ़ोतरी हुई है और उत्पादन की गुणवत्ता भी बेहतर हुई है।

महिलाओं की भी भागीदारी बढ़ी
इस साग-सब्जी आधारित खेती में ग्रामीण महिलाएं भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। महिलाएं खेत में रोपाई, निराई और कटाई जैसे कार्यों में न केवल सहयोग कर रही हैं, बल्कि खुद भी बाजार जाकर सब्जियां बेच रही हैं। इससे उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली है।

एक किसान की कहानी:
कोसी क्षेत्र के एक किसान रमेश यादव ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ भूमि पर भिंडी, टमाटर और परवल की खेती की। बाजार में सीधी बिक्री से उन्हें इस सीजन में 1.5 लाख रुपये की आमदनी हुई। रमेश कहते हैं, "अब खेती घाटे का सौदा नहीं रही, सही रणनीति और मेहनत से यह लाभकारी व्यवसाय बन सकती है।"

Share this story

Tags