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पटना में महिला आयोग में फर्जीवाड़ा, युवती को बदनाम कर शादी तुड़वाने की साजिश का खुलासा

पटना में महिला आयोग में फर्जीवाड़ा, युवती को बदनाम कर शादी तुड़वाने की साजिश का खुलासा

राजधानी पटना में एक युवती को बदनाम करने और उसकी शादी तुड़वाने की सुनियोजित साजिश का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस प्रकरण में बिहार राज्य महिला आयोग में दस्तावेजों से छेड़छाड़ और फर्जीवाड़ा किए जाने का आरोप लगा है। पीड़िता ने इस पूरे मामले को गंभीर बताते हुए न्याय की गुहार लगाई है, वहीं महिला आयोग ने भी इसे गंभीर अपराध मानते हुए कड़ा रुख अपनाया है।

पीड़िता के अनुसार, उसके फूफा ने पारिवारिक रंजिश के चलते महिला आयोग में फर्जी आवेदन देकर उसे बदनाम करने की कोशिश की। आरोप है कि इस आवेदन में न केवल गलत और मनगढ़ंत तथ्य दर्ज किए गए, बल्कि दस्तावेजों के साथ भी छेड़छाड़ की गई। इस फर्जी शिकायत का उद्देश्य युवती की प्रस्तावित शादी को रुकवाना था।

मामला यहीं नहीं रुका। पीड़िता का आरोप है कि शादी के बाद भी आरोपी फूफा ने छेड़छाड़ की हुई शिकायत की कॉपी उसके पति को भेज दी, जिससे उसके वैवाहिक जीवन में तनाव पैदा हो गया। इससे न सिर्फ उसकी सामाजिक छवि को ठेस पहुंची, बल्कि मानसिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी।

महिला आयोग के संज्ञान में मामला आने के बाद दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच की गई, जिसमें कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। आयोग के अधिकारियों का कहना है कि आवेदन में प्रस्तुत किए गए तथ्यों और कागजात में स्पष्ट रूप से हेराफेरी की गई है, जो कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है।

महिला आयोग ने इस पूरे मामले को न केवल युवती की गरिमा से जुड़ा मामला, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का भी गंभीर उदाहरण बताया है। आयोग ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि इस प्रकरण में पटना के एसएसपी को पत्र भेजकर प्राथमिकी दर्ज कराने का अनुरोध किया जाएगा, ताकि दोषी के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई हो सके।

आयोग की ओर से यह भी कहा गया है कि महिला आयोग जैसे संवैधानिक संस्थान का इस्तेमाल किसी को बदनाम करने या निजी दुश्मनी निकालने के लिए नहीं किया जा सकता। ऐसा करना न सिर्फ अनैतिक है, बल्कि कानून के तहत दंडनीय अपराध भी है।

पीड़िता ने बताया कि इस घटना के बाद उसे सामाजिक रूप से अपमान और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा। उसने मांग की है कि आरोपी को कड़ी सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह से किसी महिला की प्रतिष्ठा और जीवन से खिलवाड़ न कर सके।

महिला आयोग ने भरोसा दिलाया है कि पीड़िता को हर संभव कानूनी सहायता दी जाएगी और मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही यह संदेश भी दिया गया है कि फर्जी शिकायत और दस्तावेजी हेराफेरी करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि यदि संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग किया जाए, तो निर्दोष लोगों की जिंदगी पर कितना गहरा असर पड़ सकता है।

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