कटिहार के झब्बू टोला स्कूल पर बाढ़ का संकट: गंगा- महानंदा के बढ़ते जलस्तर से 565 बच्चों की शिक्षा खतरे में
कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय झब्बू टोला पर गंगा और महानंदा नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण गंभीर संकट मंडरा रहा है। यह स्कूल पहले से ही बाढ़ और कटाव की चपेट में है, और अब स्थिति और अधिक भयावह होती जा रही है। दो साल पहले इसी विद्यालय का एक हिस्सा गंगा नदी में समा गया था, फिर भी यहां पर करीब 565 छात्र-छात्राएं नियमित रूप से पढ़ाई करते रहे हैं। लेकिन अब इन छात्रों और शिक्षकों की जान और शिक्षा दोनों खतरे में है।
स्कूल पर मंडरा रहा खतरा
झब्बू टोला का यह विद्यालय दो नदियों के संगम के पास स्थित है, जिससे हर साल बाढ़ के दौरान यहां की स्थिति विकट हो जाती है। गंगा और महानंदा के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण स्कूल के आसपास कटाव तेज हो गया है। विद्यालय भवन के एकदम पास तक पानी पहुंच गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो पूरा विद्यालय परिसर किसी भी वक्त नदी में समा सकता है।
2019 में एक हिस्सा समा चुका है नदी में
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में गंगा नदी के विकराल रूप के चलते विद्यालय भवन का एक भाग नदी में समा गया था। इसके बावजूद शिक्षकों और छात्रों ने हिम्मत नहीं हारी और बचे हुए भवन में किसी तरह पढ़ाई जारी रखी। अब जब दोबारा जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है, तो छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है।
स्थानीय प्रशासन से गुहार
विद्यालय के प्रधानाध्यापक और ग्रामवासियों ने प्रशासन से अपील की है कि विद्यालय को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया जाए या तत्काल बाढ़ से सुरक्षा के स्थायी उपाय किए जाएं। बच्चों की शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए एक वैकल्पिक अस्थायी भवन की भी मांग उठ रही है।
शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया का इंतजार
बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा से जुड़े इस मुद्दे पर अभी तक शिक्षा विभाग की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, जिला प्रशासन को स्थिति की गंभीरता से अवगत करा दिया गया है। अब यह देखना होगा कि विभाग और सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
स्थानीय लोगों में आक्रोश और चिंता
विद्यालय से जुड़े अभिभावकों में प्रशासन की लापरवाही को लेकर रोष है। उनका कहना है कि दो साल पहले जब एक हिस्सा नदी में समा गया था, तभी ठोस कदम उठाए जाते तो आज यह स्थिति नहीं बनती। गांववालों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
यह मामला ना सिर्फ एक स्कूल की सुरक्षा का है, बल्कि सैकड़ों बच्चों के भविष्य का सवाल भी है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि "पढ़े बिहार, बढ़े बिहार" का सपना साकार हो सके।

