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बारिश में खेल रहे थे पांच दोस्त, भीगने के बाद गंगा में गए थे नहाने, दो बच्चे अभी तक लापता

बारिश में खेल रहे थे पांच दोस्त, भीगने के बाद गंगा में गए थे नहाने, दो बच्चे अभी तक लापता

बिहार के बक्सर जिले के ढकाइच गांव के युवा मैकेनिकल इंजीनियर संजीत राय ने न सिर्फ प्लास्टिक कचरे को नष्ट करने का तरीका ढूंढ़ा, बल्कि इसे वरदान बनाकर दर्जनों लोगों को रोजगार भी दिया। 13 से 2017 तक आईआईटी चेन्नई से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में प्लेसमेंट का मौका ठुकरा दिया और अपने गांव लौटकर प्लास्टिक कचरे से पानी की टंकी, डस्टबिन, बेंच, डेस्क, टेबल, बुकशेल्फ और पार्क बेंच बनाने का स्टार्टअप राय इंडस्ट्रीज नाम से शुरू किया। आज उनकी मेहनत बिहार और झारखंड के बाजारों में खूब बिक रही है और सालाना लाखों रुपये की कमाई हो रही है। उनकी दोनों कंपनियों का संयुक्त सालाना टर्नओवर करीब पांच करोड़ रुपये है।

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संजीत ने गांव-गांव में बढ़ रहे प्लास्टिक कचरे को खत्म करने के लिए इसे उपयोगी बनाने का फैसला किया। अपनी बचत, परिवार और दोस्तों की मदद से उन्होंने ढाका में रिसाइकिलिंग प्लांट लगाया। शुरुआत में उन्होंने प्लांट में 30 बेरोजगार युवकों को रोजगार दिया। इसी बीच कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया और प्लांट को बंद करना पड़ा, जिससे करीब 80 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

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