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बिहार में गिरता लिंगानुपात बना चिंता का विषय, देश में सबसे कम जन्म लिंगानुपात दर्ज

बिहार में गिरता लिंगानुपात बना चिंता का विषय, देश में सबसे कम जन्म लिंगानुपात दर्ज

बिहार में लिंगानुपात को लेकर स्थिति बेहद चिंताजनक होती जा रही है। हाल ही में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लड़कियों की संख्या तेजी से घट रही है। यह गिरावट जन्म के समय दर्ज किए गए लिंगानुपात में साफ तौर पर देखी जा सकती है, जो पूरे देश में सबसे कम है।

क्या कहती है रिपोर्ट?

CRS की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में जन्म के समय लिंगानुपात (यानि प्रति 1,000 लड़कों पर कितनी लड़कियां जन्म ले रही हैं) देश में सबसे कम है।
यह दर्शाता है कि या तो लड़कियों का जन्म कम हो रहा है या उनकी गिनती दर्ज नहीं हो रही, दोनों ही स्थितियां सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर हैं।

संभावित कारण:

  1. कन्या भ्रूण हत्या – अब भी कई इलाकों में लड़कियों को बोझ समझा जाता है, जिससे गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है।

  2. जेंडर बायस – बेटे की चाह में बेटियों की उपेक्षा या उन्हें जन्म ही न लेने देना।

  3. कमी रिपोर्टिंग – कई ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म का सही से पंजीकरण नहीं किया जाता, विशेषकर बेटियों का।

  4. शिक्षा और जागरूकता की कमी – महिलाओं के अधिकार और लिंग समानता को लेकर समाज में अब भी जागरूकता की भारी कमी है।

क्यों है ये चिंताजनक?

  • जनसंख्या संतुलन बिगड़ रहा है

  • भविष्य में विवाह और सामाजिक संरचना पर असर पड़ेगा

  • महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों पर भी असर पड़ेगा

  • लड़कियों के प्रति भेदभाव और भी गहराएगा

क्या होनी चाहिए सरकार की पहल?

  • जागरूकता अभियान चलाना, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में

  • कन्या भ्रूण हत्या पर सख्त कार्रवाई

  • बेटियों के जन्म और शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाली योजनाएं

  • बर्थ रजिस्ट्रेशन सिस्टम को मजबूत बनाना, जिससे हर बच्चे का पंजीकरण हो

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