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चेहरा-सीट और मॉडल...बिहार फतह करने के लिए बीजेपी का प्लान तैयार, यहां जानिए सबकुछ

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत पटना से लेकर दिल्ली तक जारी है। सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव में अपनाए गए फार्मूले के अनुसार ही इस बार....
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बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। एनडीए गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत पटना से लेकर दिल्ली तक जारी है। सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव में अपनाए गए फार्मूले के अनुसार ही इस बार भी सीटों का बंटवारा होगा। लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी ने 5 और हम तथा राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा था, विधानसभा चुनाव में भी इसी तर्ज पर सीटों के बंटवारे पर विचार हो रहा है।

सीट बंटवारे में रणनीति और अंत में फैसला

एनडीए के अंदर सीट बंटवारे को लेकर कोई जल्दीबाजी नहीं है। ताकि कोई विवाद या पेंच न फंसे, यह फैसला चुनाव से कुछ ही समय पहले अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके अलावा लगातार दो चुनाव हार रही सीटों को बदलने की भी योजना है। यानी अगर कोई सीट बीजेपी लगातार दो बार हार रही है तो वह सीट किसी सहयोगी दल को दी जाएगी ताकि जीत की संभावना बढ़ सके।

जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों का मुकाबला

लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने जेडीयू से एक सीट ज्यादा पर चुनाव लड़ा था, विधानसभा चुनाव में इसके उलट जेडीयू बीजेपी से एक-दो सीटें ज्यादा पर चुनाव लड़ सकती है। सूत्र बताते हैं कि जेडीयू लगभग 102-103 सीटें और बीजेपी 101-102 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

बाकी लगभग 40 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी), हिंदुस्तान अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच बांटी जाएंगी। इनमें से बड़ा हिस्सा एलजेपी को मिलने की संभावना है क्योंकि उसके राज्य में पांच सांसद हैं। अनुमान है कि एलजेपी को करीब 25-28 सीटें मिल सकती हैं, जबकि हम को 6-7 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4-5 सीटें दी जा सकती हैं।

जातिगत समीकरण पर खास नजर

बिहार की राजनीति में जाति का महत्वपूर्ण स्थान है और इसी वजह से एनडीए की सीट बंटवारे की रणनीति में जातिगत समीकरण को बारीकी से देखा जा रहा है। यदि किसी जिले में पांच सीटें हैं तो प्रयास होगा कि वहां की उम्मीदवारों में सभी जातियों का उचित प्रतिनिधित्व हो। इसके साथ यह भी ध्यान रखा जाएगा कि बगल-बगल की सीटों पर दोनों पार्टियों के उम्मीदवार एक ही जाति से न हों। इससे गठबंधन की व्यापक सामाजिक स्वीकार्यता बनी रहेगी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत पर नजर

एनडीए के अंदर यह भी रणनीति बनाई जा रही है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्वास्थ्य स्थिति को विपक्ष चुनावी मुद्दा न बनाए। एनडीए का मानना है कि यदि विपक्ष इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगा तो इससे विपक्ष को नुकसान होगा और एनडीए को जनता का सहानुभूति वोट मिलेगा। इसलिए, नीतीश की सेहत को लेकर गठबंधन के अंदर सतर्कता बरती जा रही है।

पिछले चुनावों के आधार पर सीटों का समीकरण

बिहार विधानसभा चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर उच्चस्तरीय मंथन कोई नई बात नहीं है। 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 141 सीटें और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

2015 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होकर आरजेडी के साथ गठबंधन किया था, जिसमें दोनों पार्टियों ने बराबर-बराबर सीटें लड़ीं। वहीं 2020 के चुनाव से पहले फिर से नीतीश ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और जेडीयू ने 115 सीटें तथा बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा।

इन सब अनुभवों को ध्यान में रखते हुए, इस बार भी जेडीयू की तरफ से बीजेपी की तुलना में अधिक सीटें लड़ी जा सकती हैं।

निष्कर्ष:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए गठबंधन के अंदर सीटों का बंटवारा बड़े ही रणनीतिक अंदाज में किया जाएगा। जाति-संवेदनशील समीकरण और लगातार हार रही सीटों को बदलने जैसी व्यवस्थाओं के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी की जा रही है। साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत पर भी गठबंधन की नजर है, जिससे चुनावी लड़ाई में किसी अप्रत्याशित घटना से बचा जा सके।

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