आज़ादी के 75 साल बाद भी बोडराबांध बस्ती बुनियादी सुविधाओं से वंचित, 10 महीने तक पहुंचविहीन रहता इलाका

एक ओर जहां जशपुर जिला जल, जंगल और जमीन की समृद्धि के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर कुनकुरी विकासखंड के गड़ाकटा ग्राम पंचायत अंतर्गत वार्ड नंबर-13 बोडराबांध की आदिवासी बस्ती आज भी बुनियादी विकास की बाट जोह रही है।
🛣 सड़क और पुल का नामोनिशान नहीं
बोडराबांध बस्ती में न सड़क है, न पुल। ग्रामीणों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कच्चे रास्तों, नदी-नालों और जंगलों का सहारा लेना पड़ता है। वर्षा ऋतु में हालत और भी बदतर हो जाती है। बस्ती का संपर्क लगभग 10 महीनों तक पूरी तरह कट जाता है, जिससे अस्पताल, स्कूल, बाजार जैसी आवश्यक सेवाएं आम जनता के लिए सपना बन जाती हैं।
🚶♀️ पैदल सफर और जोखिम भरे रास्ते
ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर या जान जोखिम में डालकर नदी पार करके दूसरी बस्ती तक जाना पड़ता है। कई बार मरीज, गर्भवती महिलाएं और बच्चे इन हालातों में जीवन और मौत के बीच झूलते हैं।
🧓 बुजुर्गों और बच्चों पर सबसे ज्यादा असर
इलाके में रहने वाले बुजुर्ग, महिलाएं और स्कूली बच्चे इन हालातों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। स्कूल जाने के लिए बच्चों को जोखिम उठाकर उफनती नदी पार करनी पड़ती है, वहीं बीमार होने पर मरीजों को चारपाई पर उठा कर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता है।
🏛 शासन-प्रशासन से निराश ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को आवेदन दिए, जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिले, समाधान नहीं। 75 वर्षों की आज़ादी के बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना सरकार की विकास योजनाओं पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
📣 ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द पक्की सड़क और पुलिया का निर्माण हो, ताकि वे भी देश की मुख्यधारा से जुड़ सकें और सामान्य जीवन जी सकें।
अगर आप चाहें तो इस मुद्दे को लेकर संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों या जिला पंचायत की योजनाओं की जानकारी भी दी जा सकती है।