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बिहार में एसआईआर के दौरान त्रुटि, जिंदा मतदाता को मृतक दिखाया गया

बिहार में एसआईआर के दौरान त्रुटि: जिंदा मतदाता को मृतक दिखाया गया

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया जोरों पर है, लेकिन इसकी टाइमिंग और जल्दबाजी को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि मतदान सूची में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एसआईआर जरूरी है, वहीं विपक्ष इस प्रक्रिया की जिम्मेदारी और समयसीमा पर सवाल उठा रहा है।

विशेष पुनरीक्षण के पहले चरण के बाद कुल 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिनमें से लगभग 22 लाख मृतक मतदाता बताए गए। लेकिन इस दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। भोजपुर जिले के आरा निवासी मिंटू पासवान का नाम भी मृतक मतदाताओं की सूची में शामिल हो गया, जबकि मिंटू पासवान जिंदा और स्वस्थ हैं।

मिंटू पासवान के परिवार ने बताया कि उन्हें इस गलती का पता चलने पर आश्चर्य और चिंता दोनों हुई। मिंटू पासवान ने कहा कि “मैं जिंदा हूँ, फिर भी मेरा नाम मृतक मतदाताओं में डाल दिया गया। यह हमारे वोटिंग अधिकार को प्रभावित कर सकता है।”

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे त्रुटिपूर्ण रिकॉर्ड न केवल व्यक्तिगत मतदाताओं के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं, बल्कि यह चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न उठाते हैं। अधिकारी इस मामले में सुधार की प्रक्रिया में जुटे हैं और दावा किया जा रहा है कि गलत नामों को जल्द से जल्द सही किया जाएगा।

बिहार चुनाव आयोग ने बताया कि एसआईआर के दौरान मतदाता सूची की हर प्रविष्टि की गहन जांच की जा रही है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर डेटा होने के कारण कुछ त्रुटियां अनजाने में शामिल हो जाती हैं। आयोग ने आश्वासन दिया है कि सभी गलत प्रविष्टियों को सत्यापन और दस्तावेजों के आधार पर ठीक किया जाएगा।

इस घटना ने मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया की सटीकता और विश्वसनीयता को लेकर बहस को फिर से गरमा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव से पहले ऐसे मामलों का समाधान करना बेहद जरूरी है, ताकि हर मतदाता का अधिकार सुरक्षित रहे और किसी भी प्रकार की गलतफहमी या विवाद से बचा जा सके।

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