बिहार में ड्रोन से मछली पहुंचाने की योजना को लेकर उत्साह, लेकिन अभी करना होगा इंतजार

बिहार सरकार राज्य में तकनीकी नवाचार की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए ड्रोन के जरिए मछली की डिलीवरी की योजना पर काम कर रही है। हालांकि इस महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर उतरने में अभी थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि इसके लिए केंद्र सरकार की स्वीकृति आवश्यक है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने इस योजना का विस्तृत प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया है और अब मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है।
इस योजना का उद्देश्य मछली उत्पादन और आपूर्ति के पारंपरिक ढांचे को आधुनिक तकनीक से जोड़ते हुए उपभोक्ताओं तक ताजा मछली सीधे उनके घरों और होटलों तक पहुंचाना है। यदि योजना को स्वीकृति मिलती है, तो बिहार देश के उन गिने-चुने राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां ड्रोन से मछली की डिलीवरी की सुविधा मौजूद होगी।
इस योजना का लाइव ट्रायल भी बीते वर्ष 19 अक्तूबर को राजधानी पटना के ज्ञान भवन में किया जा चुका है। ट्रायल के दौरान तीन अलग-अलग तरीकों से यह प्रदर्शित किया गया कि मछली को ड्रोन के माध्यम से कैसे सुरक्षित और ताजगी के साथ गंतव्य तक पहुंचाया जा सकता है। ट्रायल के दौरान मछली को विशेष कंटेनरों में रखा गया था जो तापमान नियंत्रित और हल्के भार वाले थे, ताकि उड़ान के दौरान कोई तकनीकी या गुणवत्ता संबंधी समस्या न आए।
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि योजना पूरी तरह से तैयार है, लेकिन अंतिम फैसला केंद्र सरकार की स्वीकृति पर निर्भर करता है। फिलहाल यह योजना भारत के कुछ तटीय राज्यों में लागू की गई है, जहां समुद्री मछलियों की आपूर्ति को लेकर यह प्रणाली सफल रही है। बिहार सरकार चाहती है कि इसी मॉडल को राज्य के भीतर भी लागू किया जाए, जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में भी ताजी मछली समय पर पहुंचाई जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक न केवल मछली व्यापारियों को फायदा पहुंचाएगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध सेवाएं मिलेंगी। साथ ही, मछली पालन से जुड़े लोगों के लिए भी यह एक नया बाज़ार खोल सकती है।
हालांकि, योजना को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं, जैसे ड्रोन संचालन की अनुमति, उड़ान मार्ग, मौसम की स्थिति और वितरण नेटवर्क की स्थिरता। लेकिन अगर ये सभी बाधाएं पार कर ली जाती हैं, तो यह बिहार के मत्स्य उद्योग के लिए क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है।
अब निगाहें केंद्र सरकार की मंजूरी पर टिकी हैं। जैसे ही हरी झंडी मिलती है, बिहार सरकार इस योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। तब तक के लिए राज्य को इस तकनीकी परिवर्तन का इंतजार करना होगा।