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चुनाव नजदीक : बिहार सरकार के कैबिनेट फैसले सीधे वोटर को साधने की कोशिश

बिहार में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आती जा रही है, राज्य सरकार भी एक-एक करके लोकलुभावन फैसले लेकर मैदान में उतर चुकी है। मंगलवार को हुई बिहार कैबिनेट बैठक में जो फैसले लिए गए हैं, उनका सीधा असर न केवल सामाजिक ढांचे पर पड़ेगा.........
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बिहार में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आती जा रही है, राज्य सरकार भी एक-एक करके लोकलुभावन फैसले लेकर मैदान में उतर चुकी है। मंगलवार को हुई बिहार कैबिनेट बैठक में जो फैसले लिए गए हैं, उनका सीधा असर न केवल सामाजिक ढांचे पर पड़ेगा, बल्कि चुनावी समीकरणों को भी गहराई से प्रभावित करेगा। ये निर्णय इस तरह से लिए गए हैं कि इसका सीधा लाभ राज्य के उन तबकों को मिले, जो वोट बैंक का बड़ा हिस्सा माने जाते हैं।

मुख्य सचिव ने की खुद ब्रीफिंग, फैसलों की अहमियत साफ

आम तौर पर कैबिनेट बैठक के बाद प्रदेश के कैबिनेट सचिव ब्रीफिंग करते हैं, लेकिन इस बार मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने खुद मीडिया को फैसलों की जानकारी दी। उनके साथ कैबिनेट सचिव एस सिद्धार्थ, स्वास्थ्य सचिव और विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत भी मौजूद रहे। इस मौजूदगी से यह साफ संकेत मिला कि राज्य सरकार इन फैसलों को सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर नहीं, बल्कि राजनीतिक तौर पर बेहद गंभीरता से ले रही है। 94 लाख परिवारों को ₹2 लाख: जातिगत जनगणना का बड़ा फायदा

इस बैठक में सबसे महत्वपूर्ण फैसला जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लिया गया, जिसके तहत 94 लाख परिवारों को ₹2-2 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। अगर प्रति परिवार औसतन 4 व्यक्ति या वोटर माने जाएं, तो इसका असर करीब 4 करोड़ वोटरों पर पड़ेगा। यह फैसला खासतौर पर दलित, पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को ध्यान में रखकर लिया गया है, जिनकी जनसंख्या बिहार में बड़ी है और जो चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

पंचायत प्रतिनिधियों के लिए बड़ा तोहफा

पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरियों के प्रतिनिधियों के मानदेय को सीधा डेढ़ गुना बढ़ा दिया गया है। यह फैसला पंचायत स्तर पर काम करने वाले मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य, सरपंच आदि सभी पर लागू होगा।

इसके अलावा:

  • मनरेगा खर्च की सीमा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी गई है।

  • पंचायती राज प्रतिनिधियों की आकस्मिक मृत्यु पर ₹5 लाख की सहायता राशि तय की गई है।

इससे उन लाखों स्थानीय जनप्रतिनिधियों को फायदा होगा जो गांवों में सरकार के चेहरे माने जाते हैं। जाहिर है, इसका सीधा असर गांव की राजनीति और वोटर के मूड पर पड़ेगा।

महिलाओं को लुभाने की कवायद

नीतीश सरकार ने महिलाओं को भी अपने फैसलों के जरिए साधने की कोशिश की है:

  • जीविका दीदियों को मिलने वाले बैंक ऋण की सीमा बढ़ाई गई है।

  • उनके लिए ब्याज दर में राहत देने का निर्णय भी लिया गया है।

इसके अलावा, 'मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना' के तहत हर पंचायत में विवाह भवन का निर्माण किया जाएगा। इसका उद्देश्य गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह में सुविधा देना है, जो कि सीधे युवा महिला वोटर्स और उनके परिवारों को लक्षित करता है।

चुनावी गणित का बारीक खेल

इन फैसलों से स्पष्ट है कि सरकार ने हर वोटर वर्ग के लिए एक अलग योजना तैयार की है:

  • दलित और पिछड़ी जातियों के लिए आर्थिक सहायता,

  • पंचायती प्रतिनिधियों के लिए मानदेय बढ़ोतरी,

  • महिलाओं और जीविका समूहों के लिए आर्थिक राहत और सुविधा,

  • युवा वोटर्स, खासकर पहली बार वोट देने वाली बेटियों को साधने की रणनीति।

इन योजनाओं के माध्यम से सरकार सामाजिक और आर्थिक दोनों स्तर पर प्रभाव डालने की कोशिश कर रही है।

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