चुनाव आयोग की बड़ी पहल, 4.96 करोड़ मतदाताओं को नहीं देने होंगे अब अतिरिक्त दस्तावेज

भारतीय चुनाव आयोग ने सोमवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) से जुड़ा एक अहम फैसला लिया है। आयोग ने 2003 की एसआईआर सूची को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। इस पहल का सीधा लाभ करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं को मिलेगा, जिन्हें अब मतदाता सूची में नाम जोड़ने या सुधार के लिए किसी अतिरिक्त दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।
इस नए निर्देश के तहत यदि आवेदक के माता-पिता का नाम 2003 की एसआईआर सूची में पहले से दर्ज है, तो संबंधित व्यक्ति को अपना नाम दर्ज कराने के लिए अलग से कोई दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी। यह पहल खासकर पुराने मतदाताओं के परिवारों के लिए राहत देने वाली है।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। साथ ही इससे नए युवा मतदाताओं के पंजीकरण में भी तेजी आएगी, जिनके अभिभावकों का नाम पहले से सूची में दर्ज है।
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
"2003 की एसआईआर सूची में जिनके माता-पिता का नाम है, वे आसानी से अपने मतदाता कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे दस्तावेज़ी प्रक्रिया सरल होगी और समय की बचत भी होगी।"
इस सुविधा के तहत अब शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फैले करोड़ों आवेदकों को प्रमाण के रूप में जन्म प्रमाण पत्र, राशन कार्ड या स्कूल सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे प्रक्रिया और सुगम हो जाएगी।