नामांतरण में देरी पर अब डीएम और कमिश्नर होंगे जिम्मेदार, हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद शासन ने दिए सख्त निर्देश
जमीनों के दाखिल-खारिज (नामांतरण) मामलों में लगातार हो रही देरी को लेकर अब जिला अधिकारियों और मंडलायुक्तों पर सख्ती की गई है। राजस्व संहिता के प्रावधानों के तहत अब गैर-विवादित मामलों में 45 दिनों के भीतर और विवादित मामलों में अधिकतम 90 दिनों में फैसला देना अनिवार्य होगा।
हाईकोर्ट ने दाखिल-खारिज मामलों में देरी पर सख्त नाराजगी जताते हुए इसे शासन की गंभीर लापरवाही करार दिया। कोर्ट की टिप्पणी के बाद प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरुप्रसाद ने शासनादेश जारी कर मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तय समयसीमा में ही मामलों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।
प्रमुख सचिव ने कहा कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी मामलों में अनावश्यक देरी करता है, तो उसकी जवाबदेही तय की जाएगी और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
राजस्व संहिता के मुख्य बिंदु:
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गैर-विवादित नामांतरण मामलों का निस्तारण 45 दिनों के भीतर करना अनिवार्य।
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विवादित मामलों में अधिकतम 90 दिनों में सुनवाई पूरी कर निर्णय देना अनिवार्य।
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आदेश की पालना सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डीएम और मंडलायुक्त की होगी।
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देरी पर व्यक्तिगत जवाबदेही तय कर कार्रवाई की जाएगी।

