
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक हलचलों का दौर तेज हो गया है और दल-बदल का सिलसिला भी रफ्तार पकड़ चुका है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव धर्मेंद्र चौहान ने JDU से इस्तीफा दे दिया है और अब वह चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज में शामिल हो गए हैं।
यह राजनीतिक घटनाक्रम बिहार की चुनावी सियासत में एक नई सेंधमारी के रूप में देखा जा रहा है, जो सत्ताधारी दल के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
धर्मेंद्र चौहान का इस्तीफा और बयान
सूत्रों के अनुसार धर्मेंद्र चौहान ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद स्पष्ट किया कि वह नीतीश कुमार की नीतियों और कार्यशैली से असंतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि जदयू अब अपनी मूल विचारधारा और सामाजिक न्याय की दिशा से भटक चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि जनसुराज ही अब बिहार में असल बदलाव की राजनीति कर रही है।
जनसुराज को मिली मजबूती
धर्मेंद्र चौहान जैसे अति पिछड़ा वर्ग के प्रभावशाली नेता का जनसुराज में आना पार्टी के लिए सामाजिक समीकरणों में एक मजबूत कड़ी जोड़ने जैसा है। प्रशांत किशोर लगातार बिहार के विभिन्न जिलों में जन संवाद और पदयात्रा के जरिए जमीनी स्तर पर जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, और यह दल-बदल उसी प्रयास की एक सफल परिणति के रूप में देखा जा रहा है।
जेडीयू के लिए चेतावनी
चुनाव से पहले ही पार्टी के एक महत्वपूर्ण प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव का जाना, खासकर उस तबके से, जिसे जदयू का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है, नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकेत है। यह स्थिति आने वाले दिनों में और अधिक नेताओं के पार्टी छोड़ने का संकेत दे सकती है।
सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज
इस घटनाक्रम के बाद बिहार की सियासत में चर्चाएं तेज हो गई हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनसुराज पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में एक तीसरी ताकत के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश में है और जदयू समेत अन्य दलों के असंतुष्ट नेताओं को अपने पाले में लाने की रणनीति पर काम कर रही है।