बिहार पुलिस की किरकिरी के बीच मीडिया पर नियंत्रण को लेकर डीजीपी का स्पष्टीकरण
बिहार में हाल ही में हुई कई चर्चित हत्याओं और अपराधों में पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं। राजधानी पटना के पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा की हत्या और गोपाल खेमका हत्याकांड सहित राज्य भर में बड़े अपराधों ने बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इन घटनाओं के बाद मीडिया में पुलिस की आलोचना की जा रही थी, जिससे राज्य में अपराध नियंत्रण के मुद्दे पर असंतोष बढ़ गया है।
मीडिया पर नियंत्रण की पहल
22 जुलाई 2025 को बिहार के डीजीपी (Director General of Police) ने एक फरमान जारी किया था, जिसमें मीडिया को पुलिस मामलों में अधिक प्रचार-प्रसार से रोकने की बात की गई थी। इस फरमान में यह स्पष्ट किया गया था कि पुलिस जांच से संबंधित संवेदनशील मामलों को मीडिया में बिना जांच के प्रसारित नहीं किया जाएगा। यह आदेश मीडिया और पुलिस के बीच सामंजस्य बनाए रखने के उद्देश्य से दिया गया था।
इस आदेश के बाद से मीडिया और पुलिस के बीच एक नई बहस छिड़ गई है। कई मीडिया संस्थाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया, जबकि पुलिस प्रशासन ने इसे जांच की निष्पक्षता बनाए रखने का तरीका बताया।
डीजीपी का स्पष्टीकरण
मीडिया में बढ़ती बहस के बीच, बुधवार को बिहार डीजीपी ने इस मामले पर अपना स्पष्टीकरण जारी किया। डीजीपी ने कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ पुलिस की जांच को प्रभावित होने से बचाना था, और उन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया को अपनी जिम्मेदारी के साथ काम करना चाहिए। डीजीपी ने यह भी कहा कि पुलिस जांच में जनता की संवेदनाओं का ख्याल रखा जाता है और इसे गलत तरीके से प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए।
डीजीपी ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि उनका फरमान किसी भी प्रकार से मीडिया के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता। उनका उद्देश्य केवल यह था कि अपराधों से संबंधित जांच में मीडिया के द्वारा जल्दबाजी में दी गई जानकारी से जांच प्रभावित ना हो, जो बाद में विवाद का कारण बन सकती है।
पुलिस की छवि पर सवाल
चंदन मिश्रा और गोपाल खेमका हत्याकांड के मामलों में पुलिस की जांच को लेकर कई सवाल उठे थे। राज्य भर में हुए इन बड़े अपराधों के बाद मीडिया और जनता के बीच पुलिस की कार्यशैली को लेकर अविश्वास की भावना पैदा हो गई थी। इन घटनाओं के कारण बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे थे, जिससे सरकार की छवि पर भी असर पड़ा था।

