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बिहार में दहेज में किडनी की मांग, एक और अमानवीय घटना

बिहार में दहेज में किडनी की मांग, एक और अमानवीय घटना

बिहार में दहेज प्रथा की अमानवीय परंपरा एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार मामला बिल्कुल अलग और चौंकाने वाला है। दहेज की मांग में सामान्य रूप से घर, कार, सोना या अन्य संपत्ति की मांग होती है, लेकिन बिहार में एक महिला से दहेज के रूप में उसकी किडनी मांगने की घटना सामने आई है, जो बेहद शर्मनाक और चौंकाने वाली है।

ससुरालवालों ने दहेज में मांगी किडनी

घटना बिहार के एक जिले की है, जहां एक महिला की शादी के बाद ससुराल वाले उससे दहेज के रूप में उसकी किडनी मांग रहे थे। यह मामला तब सामने आया जब महिला ने ससुराल वालों की इस मांग का विरोध किया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। महिला का आरोप है कि उसके पति और ससुराल के अन्य लोग उसे दहेज के रूप में पैसों और संपत्ति के अलावा उसकी किडनी मांग रहे थे।

महिला ने पुलिस को बताया कि शुरुआत में तो उसे दहेज के नाम पर सामान, पैसों और सोने की मांग की जा रही थी, लेकिन जब वह उन मांगों को पूरा नहीं कर पाई, तो ससुराल वालों ने किडनी देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। महिला ने बताया कि उन्हें धमकाया गया कि यदि उसने किडनी नहीं दी, तो उसे जान से मार दिया जाएगा।

पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

महिला के आरोपों के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज किया और आरोपियों की तलाश शुरू कर दी। पुलिस ने बताया कि यह मामला दहेज प्रथा के गंभीर उल्लंघन का है और इस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि दहेज में किसी महिला से किडनी की मांग करना न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।

दहेज प्रथा और महिला अधिकारों की सख्त जरूरत

यह घटना दहेज प्रथा की भयावहता को उजागर करती है, जिसमें आज भी महिलाओं को न केवल शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, बल्कि कभी-कभी उनकी जान तक खतरे में डाल दी जाती है। दहेज लेने और देने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करने की जरूरत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि दहेज की मांग केवल संपत्ति या सामान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह मानसिकता बदलने की आवश्यकता है कि शादी के बाद महिलाओं को उनके परिवार से कुछ ‘लाकर’ देना होता है।

कानूनी स्थिति

दहेज प्रथा पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 (Dowry Prohibition Act) लागू किया है, जिसके तहत दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध हैं। इस कानून के तहत आरोपी को जेल और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन बावजूद इसके, दहेज की मांग और हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जो समाज के लिए चिंता का विषय हैं।

समाज में जागरूकता की आवश्यकता

यह मामला इस बात का प्रमाण है कि दहेज प्रथा का मुद्दा सिर्फ कानूनी स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक स्तर पर भी समाधान की आवश्यकता है। महिलाओं को इस तरह की समस्याओं से बचाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए समाज में जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है।

आखिरकार, जब तक समाज में दहेज के खिलाफ मजबूत चेतना नहीं बनेगी, तब तक ऐसी अमानवीय घटनाएं और अपराध बढ़ते रहेंगे। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ और समाज में महिला अधिकारों को मजबूत करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।

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