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रूम नंबर 209 में मौत की साजिश! चंदन मिश्रा पर 5 शूटरों का हमला, इन्टरनेट पर वायरल हुआ खौफनाक CCTV  फुटेज 

रूम नंबर 209 में मौत की साजिश! चंदन मिश्रा पर 5 शूटरों का हमला, इन्टरनेट पर वायरल हुआ खौफनाक CCTV  फुटेज 

कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की गुरुवार को पटना के पारस अस्पताल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। बक्सर के औद्योगिक थाना क्षेत्र के सोनबरसा गाँव निवासी मंटू मिश्रा का पुत्र चंदन हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।पैरोल पर जेल से बाहर आने के बाद उसका इलाज चल रहा था। उसके खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज थे, जिनमें बक्सर जिला मुख्यालय के अमला टोली स्थित मुख्य सड़क पर 14 साल पहले हुआ राजेंद्र केसरी हत्याकांड सबसे चर्चित था।21 अगस्त 2011 को भोजपुर चूना भंडार के मालिक राजेंद्र केसरी की बक्सर जिला मुख्यालय के मुख्य सड़क पर दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राजेंद्र अपनी दुकान का शटर खोल रहे थे, तभी बक्सर जिले के अपराधियों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं।

इस मामले में राजेंद्र के परिजनों ने बक्सर निवासी चंदन मिश्रा, ओंकारनाथ सिंह उर्फ शेरू सिंह, सुरेंद्र मिश्रा उर्फ छोटू मिश्रा, निलंबित पुलिसकर्मी दीनबंधु सिंह व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। यह घटना चंदन और शेरू के आपराधिक जीवन की पहली बड़ी घटना थी।शेरू भी बक्सर औद्योगिक थाना क्षेत्र के दुल्लहपुर गाँव का निवासी है। चंदन और शेरू के गाँव एक-दूसरे से बहुत करीब हैं। दोनों ने बक्सर जिले के एक प्रसिद्ध व्यवसायी की रंगदारी के लिए हत्या कर दी थी। उनका उद्देश्य इस घटना को खूब प्रचारित करना और व्यवसायियों में भय पैदा करना था। कुछ हद तक ऐसा हुआ भी।

हालाँकि, पुलिस ने तत्परता दिखाई और कुछ ही दिनों में दोनों को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में पुलिस ने त्वरित जाँच की और मामले की सुनवाई स्पीडी ट्रायल के माध्यम से हुई। 3 अक्टूबर 2013 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरेंद्र तिवारी ने चंदन मिश्रा, दीनबंधु सिंह और छोटू मिश्रा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।इससे पहले 29 सितंबर, 2012 को चंदन को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 120बी (आपराधिक षडयंत्र), 386 (जबरन वसूली), 467, 468, 471 (जालसाजी) और शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत दोषी ठहराया गया था।

दीनबंधु सिंह और छोटू मिश्रा को धारा 302/120बी और अन्य धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था। सजा सुनाए जाने की तिथि 8 अक्टूबर 2012 निर्धारित की गई थी, लेकिन अभियुक्तों के वकील ने उच्च न्यायालय में अपील की, जिसके कारण सजा पर रोक लगा दी गई। बाद में, उच्च न्यायालय से पुनः अनुमति मिलने पर, पुनः सुनवाई के बाद अपराधियों को सजा सुनाई गई।इस मामले में 13 गैर-सरकारी गवाहों, तीन चिकित्सा अधिकारियों, दो न्यायिक मजिस्ट्रेटों और दो पुलिस अधिकारियों ने अभियोजन पक्ष के पक्ष में बयान दिए।अभियोजन पक्ष ने इस हत्या को 'दुर्लभतम में दुर्लभतम' की श्रेणी में रखा था और मृत्युदंड की मांग की थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने चंदन, दीनबंधु और छोटू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। एक अन्य आरोपी के मामले की सुनवाई किशोर न्याय परिषद में अलग से हुई।

शेरू सिंह की फरारी और सज़ा
इस मामले की सुनवाई के दौरान, मुख्य आरोपी शेरू सिंह बक्सर अदालत में सुनवाई के दौरान एक सिपाही को गोली मारकर फरार हो गया था, लेकिन बाद में उसे आरा पुलिस ने पकड़ लिया। उसकी सुनवाई अलग से हुई।तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप मल्लिक ने राजेंद्र केसरी हत्याकांड में शेरू को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। शेरू ने इस सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी। 12 फरवरी 2020 को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की पीठ ने सजा पर रोक लगा दी और मामले की दोबारा सुनवाई का आदेश दिया।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई और मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने शेरू को तीन अलग-अलग धाराओं में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। हत्या के लिए आजीवन कारावास, रंगदारी के लिए 7 साल और आर्म्स एक्ट के तहत 10 साल की सजा। ये सजाएँ एक साथ चलनी थीं। शेरू फिलहाल अपनी सजा काट रहा है।

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