पटना में साइबर ठगी गैंग 'BOSS' का पर्दाफाश, 30 लाख कैश, हथियार और लग्जरी गाड़ियां बरामद

बिहार पुलिस ने राजधानी पटना में एक हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो खुद को ‘BOSS’ नाम से पहचानता था। गैंग का यह नाम न केवल उनकी गाड़ियों पर लिखा हुआ था, बल्कि ठगी के लेन-देन और डिजिटल ट्रांजेक्शन में भी यही कोड नाम इस्तेमाल किया जाता था। पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर इस गिरोह के 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 30 लाख रुपये नकद, दो देशी पिस्टल, 13 जिंदा कारतूस, रुपये गिनने की मशीनें, लग्जरी वाहन, मोबाइल फोन, लैपटॉप, एटीएम कार्ड और चेकबुक सहित भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है।
क्या मिला पुलिस को?
पुलिस द्वारा की गई छापेमारी में बरामद सामानों की सूची चौंकाने वाली है:
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30 लाख रुपये नकद
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2 देशी पिस्टल और 13 गोलियां
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रुपये गिनने वाली मशीनें
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24 मोबाइल फोन, 7 लैपटॉप, 2 टैबलेट
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49 एटीएम कार्ड, 37 चेकबुक
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2 लग्जरी कारें जिनमें 'BOSS' लिखा गया था
कैसे करते थे ठगी?
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, यह गिरोह फर्जी बैंक कॉल, KYC अपडेट, फेक ऐप्स और सोशल मीडिया लिंक के जरिए लोगों से बैंक डिटेल्स लेकर उनके खातों से पैसे उड़ा देता था। गैंग तकनीकी रूप से प्रशिक्षित था और लेन-देन में कई बार क्रिप्टो वॉलेट्स और फर्जी खातों का इस्तेमाल करता था, ताकि ट्रेस करना मुश्किल हो।
पुलिस ने कैसे पकड़ा?
पटना पुलिस को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि शहर और राज्य के बाहर के कई लोग साइबर फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं। एक विशेष निगरानी टीम बनाई गई जिसने तकनीकी सर्विलांस और मुखबिर की सूचना के आधार पर पटना के विभिन्न ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इसी दौरान इस गिरोह का खुलासा हुआ।
‘BOSS’ नाम के पीछे की कहानी
पुलिस के अनुसार, गिरोह खुद को 'BOSS' कहकर एक खास पहचान बनाना चाहता था। गैंग के लीडर अपने सोशल मीडिया हैंडल और वाहनों पर इसी नाम का इस्तेमाल करते थे ताकि रुतबा बना रहे और कोई आसानी से उन पर शक न करे।
पुलिस का बयान
पटना एसएसपी ने बताया, "यह गिरोह न केवल बिहार, बल्कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था। जांच में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। इनके बैंक खातों, डिजिटल लेन-देन और कॉल डिटेल्स को खंगाला जा रहा है।"
आगे की कार्रवाई
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है और पुलिस अन्य सहयोगियों और नेटवर्क की तलाश कर रही है। साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इनका संबंध किसी अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड रैकेट से तो नहीं है।