
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में बड़ा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। तीन महिलाओं की लिखित शिकायत के आधार पर अस्पताल में फर्जी नियुक्तियों, वेतन घोटाले और प्रशासनिक लापरवाही की जांच शुरू कर दी गई है। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने सिविल सर्जन (सीएस) को मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
तीन महिलाओं ने लगाए गंभीर आरोप
शिकायतकर्ता सुनीता तिवारी, सीता देवी और अमृता कुमारी ने डीएम को दिए आवेदन में आरोप लगाया है कि जेएलएनएमएमसीएच में कर्मचारियों और लिपिकों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। उनके अनुसार, कई स्टाफ नर्सें ऐसी हैं जिन्हें छुट्टी पर रहने के बावजूद नियमित वेतन मिलता है।
तीन साल से अनुपस्थित नर्स को मिला 28 लाख रुपए वेतन
शिकायत के अनुसार नर्स प्रतिमा कुमारी-6 पिछले तीन साल से काम पर नहीं थी, फिर भी उसे हर महीने वेतन मिलता रहा। अब तक उन्हें करीब 28 लाख रुपये का भुगतान मिल चुका है।
इतना ही नहीं, उन्हें हर साल वेतन वृद्धि का लाभ भी मिलता रहा। जब यह मामला प्रकाश में आया तो तत्कालीन अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा ने जांच कमेटी गठित कर संबंधित कर्मचारियों से व्यक्तिगत पूछताछ भी की थी। रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेज दी गई है।
फर्जी क्लर्क, पैसे के बदले नियुक्तियां और कर्तव्यों में हेराफेरी
शिकायत में यह भी कहा गया है कि अस्पताल में कई फर्जी क्लर्क वर्षों से काम कर रहे हैं। आरोप है कि इन लोगों को पैसे देकर नौकरी दिलाई गई। इस घोटाले में आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों की भर्ती शामिल थी। इसके अलावा, नर्सों से बड़ी रकम वसूल कर उन्हें अपनी इच्छानुसार कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है।
आरोप है कि जिन नर्सों को छुट्टी पर दिखाया गया है, उन्हें भी वेतन दिया जा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।
डीएम ने सिविल सर्जन को सौंपी जांच की जिम्मेदारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने सिविल सर्जन को सभी आरोपों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सिविल सर्जन ने जेएलएनएमएमसीएच अधीक्षक से सभी आवश्यक दस्तावेज व रिकार्ड मांगे हैं।
रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई, आगे की कार्रवाई का इंतजार
पूर्व अधीक्षक द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट फिलहाल चिकित्सा मुख्यालय को भेज दी गई है। अब मुख्यालय से प्राप्त निर्देशों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) में बड़ा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। तीन महिलाओं की लिखित शिकायत के आधार पर अस्पताल में फर्जी नियुक्तियों, वेतन घोटाले और प्रशासनिक लापरवाही की जांच शुरू कर दी गई है। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) ने सिविल सर्जन (सीएस) को मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
तीन महिलाओं ने लगाए गंभीर आरोप
शिकायतकर्ता सुनीता तिवारी, सीता देवी और अमृता कुमारी ने डीएम को दिए आवेदन में आरोप लगाया है कि जेएलएनएमएमसीएच में कर्मचारियों और लिपिकों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है। उनके अनुसार, कई स्टाफ नर्सें ऐसी हैं जिन्हें छुट्टी पर रहने के बावजूद नियमित वेतन मिलता है।
तीन साल से अनुपस्थित नर्स को मिला 28 लाख रुपए वेतन
शिकायत के अनुसार नर्स प्रतिमा कुमारी-6 पिछले तीन साल से काम पर नहीं थी, फिर भी उसे हर महीने वेतन मिलता रहा। अब तक उन्हें करीब 28 लाख रुपये का भुगतान मिल चुका है।
इतना ही नहीं, उन्हें हर साल वेतन वृद्धि का लाभ भी मिलता रहा। जब यह मामला प्रकाश में आया तो तत्कालीन अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा ने जांच कमेटी गठित कर संबंधित कर्मचारियों से व्यक्तिगत पूछताछ भी की थी। रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय भेज दी गई है।
फर्जी क्लर्क, पैसे के बदले नियुक्तियां और कर्तव्यों में हेराफेरी
शिकायत में यह भी कहा गया है कि अस्पताल में कई फर्जी क्लर्क वर्षों से काम कर रहे हैं। आरोप है कि इन लोगों को पैसे देकर नौकरी दिलाई गई। इस घोटाले में आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों की भर्ती शामिल थी। इसके अलावा, नर्सों से बड़ी रकम वसूल कर उन्हें अपनी इच्छानुसार कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है।
आरोप है कि जिन नर्सों को छुट्टी पर दिखाया गया है, उन्हें भी वेतन दिया जा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।
डीएम ने सिविल सर्जन को सौंपी जांच की जिम्मेदारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने सिविल सर्जन को सभी आरोपों की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सिविल सर्जन ने जेएलएनएमएमसीएच अधीक्षक से सभी आवश्यक दस्तावेज व रिकार्ड मांगे हैं।
रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गई, आगे की कार्रवाई का इंतजार
पूर्व अधीक्षक द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट फिलहाल चिकित्सा मुख्यालय को भेज दी गई है। अब मुख्यालय से प्राप्त निर्देशों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।