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बिहार की राजधानी पटना में अपराध बेलगाम: राजधानी बना अपराधियों का नया अड्डा

बिहार की राजधानी पटना में अपराध बेलगाम: राजधानी बना अपराधियों का नया अड्डा

बिहार इन दिनों अपराध की गिरफ्त में है और हालात कुछ ऐसे बन गए हैं कि राजधानी पटना तक इससे अछूती नहीं रह गई है। ऐसा लग रहा है मानो अपराधियों ने राजधानी को भी अपनी बंदूक की नोक पर लेने की ठान ली है। हर दिन कहीं न कहीं हत्या, लूट या गोलीबारी की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे आम जनता में डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।

गुरुवार की सुबह एक बार फिर पटना की नींद गोलियों की आवाज से टूटी। अपराधियों ने एक के बाद एक वारदात को अंजाम देकर यह साफ कर दिया कि वे न तो कानून से डरते हैं और न ही प्रशासन की मौजूदगी का कोई असर है। राजधानी जैसे हाई अलर्ट ज़ोन में खुलेआम हत्याएं होना यह दर्शाता है कि अपराधियों के हौसले किस हद तक बुलंद हो चुके हैं।

पटना के पारस अस्पताल में गोली मारकर हत्या

ताजा घटना पटना के पारस अस्पताल में घटी, जहां चंदन मिश्रा नामक व्यक्ति की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। चंदन मिश्रा पहले से ही हत्या के मामले में जेल की सजा काट रहा था और तबीयत खराब होने के कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसी दौरान विरोधी गुट के अपराधियों ने अस्पताल में घुसकर उस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। यह घटना पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।

सीसीटीवी से मिले सुराग

पटना एसएसपी कार्तिकेय के. शर्मा ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज से अपराधियों की पहचान की जा चुकी है और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी तेज कर दी गई है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब अपराधी अस्पताल जैसे सुरक्षित स्थान पर भी वारदात को अंजाम देने लगे हों, तो आम जगहों पर सुरक्षा की क्या गारंटी रह जाती है?

राजधानी में बढ़ता अपराध और प्रशासन की चिंता

पिछले कुछ महीनों में राजधानी पटना में अपराध के ग्राफ में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है। लूट, हत्या, गैंगवार जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। अपराधियों को न तो दिन का खौफ है और न ही रात का डर। यह सीधा-सीधा सुशासन की छवि को धूमिल कर रहा है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'कानून का राज' की नीति को कटघरे में खड़ा कर रहा है।

क्या कर रहा है प्रशासन?

हालांकि पुलिस प्रशासन की ओर से लगातार कार्रवाई के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे इतर है। अपराधियों पर लगाम लगाने में कानून व्यवस्था नाकाम दिख रही है। हर वारदात के बाद केवल जांच, छापेमारी और बयानबाजी होती है, लेकिन अपराधियों के मन में कानून का डर नदारद है।

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