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बिहार में महागठबंधन में एआईएमआईएम की एंट्री पर घमासान, राजद-कांग्रेस के सुर अलग, ओवैसी की पार्टी चुनावी तैयारी में जुटी

बिहार में महागठबंधन में एआईएमआईएम की एंट्री पर घमासान, राजद-कांग्रेस के सुर अलग, ओवैसी की पार्टी चुनावी तैयारी में जुटी

बिहार की सियासत में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले हलचल तेज हो गई है। इस बार घमासान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को लेकर है। असदुद्दीन ओवैसी की इस पार्टी को महागठबंधन में शामिल करने को लेकर सहयोगी दलों के बीच मतभेद उभरने लगे हैं।

राजद, कांग्रेस और अन्य दलों से बना महागठबंधन अब तक भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ता रहा है, लेकिन ओवैसी की पार्टी को साथ लाने का मुद्दा गठबंधन में नई दरार डालता नजर आ रहा है।

राजद ने दी सलाह – एआईएमआईएम चुनाव न लड़े

राज्यसभा सांसद और राजद नेता प्रो. मनोज झा ने कहा है कि अगर ओवैसी सच में भाजपा के खिलाफ हैं तो उन्हें बिहार में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि,

"ओवैसी अगर सहयोग करना चाहते हैं तो बिना मैदान में उतरे भी मदद कर सकते हैं।"

मनोज झा के बयान से यह संकेत मिलता है कि राजद को ओवैसी की पार्टी पर विश्वास नहीं है और वह एआईएमआईएम को वोट कटवा के तौर पर देखती है, जो विपक्ष के वोटों को बांटकर भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है।

कांग्रेस ने दिखाया संतुलन

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद तारिक अनवर ने इस मुद्दे पर संयमित बयान देते हुए कहा,

"महागठबंधन में एआईएमआईएम को शामिल करने का फैसला सभी सहयोगी दल मिलकर लेंगे।"
उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर जल्द कोई फैसला लिया जाएगा।

ओवैसी की पार्टी की तैयारी तेज

वहीं दूसरी ओर, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम बिहार चुनाव को लेकर पूरी तरह सक्रिय हो चुकी है। पार्टी ने संगठन को फिर से खड़ा करना शुरू कर दिया है और संभावित उम्मीदवारों की सूची पर काम भी शुरू हो गया है।

गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें जीती थीं, जो पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि थी। इनमें कोचाधामन, अमौर, जोकीहाट, बहादुरगंज और बायसी जैसी सीटें शामिल थीं, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है और ओवैसी की पार्टी को स्थानीय मुद्दों और पहचान की राजनीति के आधार पर समर्थन मिला था।

सीमांचल में क्यों है एआईएमआईएम का असर?

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 40 से अधिक है। लंबे समय से इस क्षेत्र को विकास से वंचित माना जाता है। ओवैसी ने यहां के पिछड़ेपन, बाढ़, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों को उठाकर जनाधार बनाया।

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