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बिहार की कानून-व्यवस्था पर चिराग पासवान के बयान पर बोले पारस — “लोकसभा में उठाते तो बेहतर होता”

बिहार की कानून-व्यवस्था पर चिराग पासवान के बयान पर बोले पारस — “लोकसभा में उठाते तो बेहतर होता”

बिहार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान द्वारा उठाए गए सवालों ने सियासी हलचल तेज कर दी है। इस मुद्दे पर अब राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर चिराग को वास्तव में राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर चिंता थी, तो उन्हें यह मुद्दा संसद में, विशेष रूप से लोकसभा में उठाना चाहिए था।

पारस ने यह बयान एक विशेष बातचीत के दौरान आईएएनएस को दिया। उन्होंने चिराग के बयान पर हैरानी जताते हुए कहा, "जब वह खुद केंद्र सरकार में मंत्री हैं, और लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं, तो उन्हें बिहार की जनता की बात वहीं पर रखनी चाहिए थी। प्रेस के माध्यम से बयान देना सिर्फ दिखावे की राजनीति है।"

गौरतलब है कि बीते दिनों चिराग पासवान ने बिहार में बढ़ते अपराध और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। उन्होंने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि बिहार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और आम जनता असुरक्षित महसूस कर रही है। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई थीं, क्योंकि चिराग खुद बिहार से सांसद हैं और केंद्र में मंत्री पद पर आसीन हैं।

पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच पहले से ही राजनीतिक मतभेद जगजाहिर हैं। दोनों अलग-अलग गुटों में बंट चुके लोक जनशक्ति पार्टी के नेतृत्व को लेकर लंबे समय तक आमने-सामने रहे हैं। ऐसे में पारस का यह बयान उनके बीच जारी सियासी खींचतान को एक बार फिर उजागर करता है।

पारस ने यह भी कहा कि बिहार की कानून-व्यवस्था का मुद्दा गंभीर है, लेकिन इसका समाधान राजनीतिक बयानबाज़ी से नहीं, बल्कि ठोस नीतियों और सहयोग से संभव है। उन्होंने कहा, “अगर वास्तव में किसी के मन में बिहार की चिंता है, तो उसे केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर मिलकर काम करना चाहिए, न कि सिर्फ मीडिया में बयानबाजी करनी चाहिए।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन में भी हलचल दिखाई देने लगी है। चिराग पासवान के बयान और पारस की प्रतिक्रिया को एक आंतरिक असंतोष की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है।

फिलहाल, बिहार की राजनीति में चिराग बनाम पारस की यह जुबानी जंग फिर से सुर्खियों में है, और आने वाले दिनों में यह टकराव और गहराने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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