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चिराग पासवान ने सीएम नीतीश को लिखा पत्र, मुजफ्फरपुर केस पर सरकार को घेरा, तीन मांगें भी सामने रखीं

चिराग पासवान ने सीएम नीतीश को लिखा पत्र, मुजफ्फरपुर केस पर सरकार को घेरा, तीन मांगें भी सामने रखीं

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दो पन्नों का पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने मुजफ्फरपुर में दुष्कर्म पीड़िता की मौत को लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। चिराग पासवान ने अपने पत्र में लिखा है कि कुढ़नी इलाके में 9 वर्षीय दलित बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और फिर उसकी नृशंस हत्या की घटना ने पूरे बिहार को झकझोर कर रख दिया है। यह हृदय विदारक घटना न केवल एक मासूम की बर्बर हत्या है, बल्कि हमारे राज्य की कानून व्यवस्था, सामाजिक चेतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर विफलता को भी उजागर करती है। चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है कि पीड़िता छह दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करती रही, लेकिन एक जून को पटना के पीएमसीएच में उसकी मौत हो गई। बच्ची को अस्पताल में भर्ती होने के लिए लगातार छह घंटे तक एंबुलेंस में इंतजार करने को मजबूर होना पड़ा। यह तथ्य बेहद दर्दनाक है कि उस मासूम बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने वाले दरिंदे जितने दोषी हैं, उतने ही पीएमसीएच अस्पताल के डॉक्टर और प्रशासनिक कर्मचारी भी हैं, जिन्होंने बच्ची को बचाने के लिए जरूरी इलाज करने की बजाय उसे एंबुलेंस में ही छोड़ दिया और उसके इलाज में अपना कीमती समय बर्बाद कर दिया। यह न केवल लापरवाही होगी, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध होगा।

चुप्पी सबसे बड़ा अपराध होगा

केंद्रीय मंत्री ने सीएम नीतीश कुमार से ये तीन मांगें भी कीं। उन्होंने कहा कि यह घटना सिर्फ एक बच्ची की मौत नहीं है। यह हमारी सामाजिक व्यवस्था और राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी की विफलता का प्रतीक बन गई है। अगर सरकार इस पर भी चुप रही, तो यह चुप्पी सबसे बड़ा अपराध बन जाएगी।

जानिए, चिराग की तीन मांगें

इस जघन्य अपराध में शामिल सभी बलात्कारियों को तुरंत गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाए।

पीएमसीएच अस्पताल प्रशासन, डॉक्टरों और कर्मचारियों की भूमिका की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए।

जानबूझकर इलाज में देरी करने वाले और अमानवीयता दिखाने वाले कर्मचारियों पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए और उन्हें तुरंत सेवा से निलंबित किया जाए और सख्त विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

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