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बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चिराग पासवान का बड़ा ऐलान, कहा – ‘अब मैदान में उतरूंगा खुद’

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चिराग पासवान का बड़ा ऐलान, कहा – ‘अब मैदान में उतरूंगा खुद’

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बड़ा राजनीतिक संकेत देते हुए स्वयं चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। उनके इस ऐलान ने बिहार की राजनीति में नई हलचल और उत्सुकता पैदा कर दी है।

रविवार को सारण जिले में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए चिराग पासवान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि

“अब समय आ गया है कि बिहार के बेहतर भविष्य, युवाओं और राज्य की जनता के लिए मैं खुद विधानसभा चुनाव लड़ूं। मैं सिर्फ नेतृत्व नहीं करूंगा, बल्कि साथ चलूंगा, जनता के बीच रहूंगा।”

युवाओं को दी विशेष प्राथमिकता

अपने भाषण में चिराग पासवान ने विशेष रूप से बिहार के युवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में बेरोजगारी, शिक्षा और पलायन जैसे मुद्दे गंभीर हैं, जिन्हें अब केवल भाषणों से नहीं, जमीन पर उतरकर हल किया जाएगा
उन्होंने यह भी दोहराया कि

“मेरे पिता रामविलास पासवान का सपना था कि बिहार एक विकसित और अग्रणी राज्य बने। अब उस सपने को साकार करने का वक्त आ गया है।”

विपक्ष और एनडीए दोनों को संदेश

चिराग पासवान का यह ऐलान सिर्फ चुनाव लड़ने का नहीं, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को चुनौती देने जैसा है। उनके इस बयान को न केवल महागठबंधन के लिए चेतावनी, बल्कि एनडीए के भीतर समीकरणों पर भी असर डालने वाला कदम माना जा रहा है।

हालांकि एलजेपी (रामविलास) अभी एनडीए का हिस्सा है, लेकिन चिराग पासवान कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों पर खुलकर सवाल उठा चुके हैं। उनके ताजा बयान से यह भी संकेत मिल रहा है कि वे अब बिहार में अपने लिए बड़ी राजनीतिक जमीन तैयार करने की दिशा में बढ़ चुके हैं।

जनता का मिला समर्थन

सारण की जनसभा में उमड़ी भारी भीड़ और युवाओं का उत्साह यह दर्शाता है कि चिराग पासवान की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है। लोगों ने ‘युवा बिहार – चिराग सरकार’ जैसे नारों के साथ उनका स्वागत किया।

क्या बदलेगा 2025 का समीकरण?

चिराग पासवान का चुनाव लड़ने का निर्णय अब यह सवाल खड़ा करता है कि क्या एलजेपी (रामविलास) आने वाले समय में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश करेगी? क्या पार्टी अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी या गठबंधन का हिस्सा बनी रहेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में साफ होंगे, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि बिहार की सियासी फिजा में गर्माहट बढ़ गई है।

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