बिहार चुनाव से पहले सियासी समीकरणों में बदलाव, बहुजन लोकदल का जेडीयू में विलय

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक दलों में हलचल तेज़ हो गई है। इसी कड़ी में एक बड़ा सियासी घटनाक्रम सामने आया है। बहुजन लोकदल ने रविवार को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में औपचारिक रूप से विलय कर लिया। इस मौके पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बहुजन लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनाब तरकीब आलम अंसारी सहित कई पदाधिकारियों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
यह कार्यक्रम पटना स्थित जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में संपन्न हुआ, जहां बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और पार्टी नेता मौजूद रहे। जेडीयू ने इस विलय की जानकारी अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट के माध्यम से दी। पार्टी ने पोस्ट करते हुए लिखा –
“बहुजन लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनाब तरकीब आलम अंसारी ने अपने अनेक पदाधिकारियों एवं सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जद(यू) प्रदेश कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।”
जेडीयू के लिए बढ़ा जनाधार?
राजनीतिक जानकार इस विलय को जेडीयू के लिए जनाधार बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम मान रहे हैं। खासतौर से पसमांदा मुस्लिम समुदाय और दलित वर्ग में बहुजन लोकदल की पकड़ रही है, जिसका लाभ अब नीतीश कुमार की पार्टी को चुनावी मैदान में मिल सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने इस अवसर पर कहा, “यह सिर्फ एक दल का विलय नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समरसता के आंदोलन को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है। जेडीयू की नीतियों और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लोग भरोसा जता रहे हैं।”
बहुजन लोकदल प्रमुख ने जताया भरोसा
इस मौके पर बहुजन लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तरकीब आलम अंसारी ने कहा कि जेडीयू की विकासपरक नीतियों और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें यह फैसला लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “हमने समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने का सपना देखा है, और जेडीयू इस दिशा में कार्य कर रही है। इसलिए हमने अपनी पार्टी का विलय कर एकजुट होकर काम करने का संकल्प लिया है।”
विपक्ष पर हमला
इस मौके पर जेडीयू नेताओं ने अप्रत्यक्ष रूप से विपक्षी महागठबंधन और खासकर राजद (RJD) पर भी निशाना साधा। नेताओं ने कहा कि विपक्ष सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करता है, जबकि जेडीयू सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है।