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बिहार की राजनीति में CAG रिपोर्ट का बवाल, वित्तीय गड़बड़ी पर उठे सवाल

बिहार की राजनीति में CAG रिपोर्ट का बवाल, वित्तीय गड़बड़ी पर उठे सवाल

बिहार की राजनीति में इन दिनों भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट को लेकर जबरदस्त बवाल मच गया है। रिपोर्ट ने राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं और इसके बाद सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार ने 31 मार्च 2024 तक कुल 70,877.61 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन इन पैसों का सही तरीके से उपयोग हुआ है या नहीं, इसका कोई ठोस हिसाब नहीं दिया गया है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कुल 49,649 उपयोगिता प्रमाण पत्र (UCs) नहीं जमा किए गए हैं, जो खर्चों का औचित्य सिद्ध करने के लिए जरूरी होते हैं।

फाइनेंशियल गड़बड़ी का बड़ा खुलासा
CAG की रिपोर्ट ने बिहार सरकार की वित्तीय स्थिति की परतें खोल दी हैं, जिससे राज्य के वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा गया है कि राज्य सरकार ने बड़ी राशि खर्च तो की, लेकिन उसका कहीं से कोई लेखा-जोखा उपलब्ध नहीं कराया। उपयोगिता प्रमाण पत्र (UCs) के न जमा होने से यह संकेत मिलता है कि खर्चों का सही तरीके से हिसाब नहीं रखा गया है। यह राज्य सरकार के वित्तीय प्रबंधन की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, जो एक गंभीर मुद्दा बन गया है।

बिहार सरकार की प्रतिक्रिया
CAG रिपोर्ट के बाद बिहार सरकार को तगड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। रिपोर्ट में उठाए गए सवालों के बाद, राज्य सरकार ने सख्ती बरतते हुए एक नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, अब किसी भी विभाग को तब तक फंड जारी नहीं किया जाएगा, जब तक वह अपने पिछले खर्चों का हिसाब नहीं दे देता। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कदम वित्तीय पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

सख्त कदम की आवश्यकता
बिहार सरकार के इस कदम को वित्तीय सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य के विभिन्न विभागों द्वारा किए गए खर्चों का उचित लेखा-जोखा रखा जाए। साथ ही, इससे सरकारी खजाने का गलत इस्तेमाल भी रोका जा सकेगा। विभागों द्वारा पिछले खर्चों का हिसाब न देने से न केवल राज्य के वित्तीय प्रबंधन में गड़बड़ी हो सकती है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि सरकार के खर्चों पर पारदर्शिता की कमी है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
CAG रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद, विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने जनता के पैसों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया और अब जब रिपोर्ट सामने आई है तो सरकार अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है। विपक्ष का कहना है कि यह रिपोर्ट राज्य सरकार की नाकामी को उजागर करती है और इससे आम जनता के बीच सरकार की छवि खराब हो रही है।

आगे की राह
राज्य सरकार ने अब तक जो कदम उठाए हैं, वे इस मामले में पारदर्शिता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इससे पहले भी बिहार सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर कई सवाल उठ चुके हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर और किस तरह से कार्रवाई करती है और क्या विभागों से खर्चों का सही हिसाब लिया जा सकेगा।

वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके मंत्री मंडल के अन्य सदस्य इस रिपोर्ट पर अपने बयान देने से बच रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे मामला बढ़ेगा, इसे लेकर और भी राजनीतिक बयानबाजी हो सकती है।

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