कोसी-मेची लिंक परियोजना को मंत्रिपरिषद से मंजूरी, 2.14 लाख हेक्टेयर भूमि को मिलेगा सिंचाई लाभ

बिहार के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में कोसी-मेची लिंक परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के क्रियान्वयन से राज्य के पूर्वी हिस्से में स्थित 2 लाख 14 हजार 813 हेक्टेयर क्षेत्र को अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी।
यह परियोजना राज्य के कृषि आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ किसानों की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी का एक नया मार्ग प्रशस्त करेगी। परियोजना की मंजूरी को बिहार सरकार के दीर्घकालिक जल प्रबंधन और सिंचाई विस्तार नीति के तहत एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
🔷 क्या है कोसी-मेची लिंक परियोजना?
कोसी नदी के अतिरिक्त जल को नियंत्रित रूप से मेची नदी की सहायक नदियों में प्रवाहित कर सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाएगा। इस परियोजना के तहत सुरक्षित नहर प्रणाली और जल नियंत्रक ढांचे विकसित किए जाएंगे, जिससे सीमांचल क्षेत्र के किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा मिल सकेगी। इससे फसलों की उपज बढ़ेगी, सिंचाई की लागत घटेगी और खेती पर मानसून की निर्भरता कम होगी।
🔷 इन जिलों को मिलेगा सीधा लाभ
परियोजना से बिहार के अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया जैसे सीमांचल जिलों को सीधा फायदा होगा, जहां हर वर्ष बाढ़ और सूखे की दोहरी मार किसानों को परेशान करती है। इस परियोजना से न केवल सिंचाई का क्षेत्र बढ़ेगा बल्कि जल प्रबंधन भी बेहतर होगा।
🔷 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री ने परियोजना को मंजूरी देने के बाद कहा कि,
"बिहार कृषि प्रधान राज्य है। हमारी सरकार किसानों की आय बढ़ाने, जल संकट से राहत दिलाने और सतत खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। कोसी-मेची लिंक परियोजना उसी दिशा में एक ठोस कदम है।"
🔷 परियोजना की खास बातें:
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कुल सिंचाई क्षेत्र: 2,14,813 हेक्टेयर
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उद्देश्य: अतिरिक्त जल संचयन और नियंत्रित सिंचाई
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लाभ: सीमांचल क्षेत्र में कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
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कार्यान्वयन एजेंसी: जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार