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बिहार की 'राजेंद्र सोनिया' हल्दी दुनिया में छाने को तैयार, करक्यूमिन में सबसे उच्च गुणवत्ता

बिहार की 'राजेंद्र सोनिया' हल्दी दुनिया में छाने को तैयार, करक्यूमिन में सबसे उच्च गुणवत्ता

बिहार के समस्तीपुर जिले में बड़े पैमाने पर उगाई जाने वाली हल्दी की किस्म 'राजेंद्र सोनिया' अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना रंग जमाने के लिए तैयार है। कृषि विशेषज्ञों और किसानों के अनुसार, इस हल्दी में पाए जाने वाले औषधीय तत्व करक्यूमिन (Curcumin) की मात्रा 7 से 8 प्रतिशत तक पाई गई है, जो इसे देश की सबसे उच्च गुणवत्ता वाली हल्दी की श्रेणी में खड़ा करती है।

विशेषज्ञों ने बताया कि करक्यूमिन में उच्च मात्रा होने के कारण यह हल्दी स्वास्थ्य और औषधीय दृष्टि से अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इसे नियमित उपयोग में लाने से एंटीऑक्सीडेंट और सूजनरोधी गुण मिलते हैं, जिससे यह घरेलू और औद्योगिक दोनों तरह के उपयोग के लिए उपयुक्त है।

किसानों और कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जल्द ही हल्दी की इस किस्म 'राजेंद्र सोनिया' के लिए GI (Geographical Indication) टैग का दावा पेश किया जा सकता है। GI टैग मिलने से यह हल्दी न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी विशिष्ट पहचान हासिल करेगी।

राजेंद्र सोनिया हल्दी में करक्यूमिन की मात्रा मेघालय की मशहूर GI-टैग वाली लकडोंग हल्दी से भी अधिक है। इस उच्च गुणवत्ता की वजह से यह हल्दी स्वदेशी और विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धा में आगे रहेगी।

समस्तीपुर जिले में इस हल्दी की खेती बड़े पैमाने पर होती है। स्थानीय किसानों ने बताया कि राजेंद्र सोनिया हल्दी में प्राकृतिक रंग, सुगंध और औषधीय गुण बेहतर हैं। कृषि विभाग ने भी इस किस्म को लेकर तकनीकी सहायता, बीज आपूर्ति और उत्पादन प्रक्रिया में मार्गदर्शन प्रदान किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि GI टैग मिलने से इस हल्दी की मूल्यवान पहचान और बढ़ेगी, जिससे किसानों की आमदनी में भी सुधार होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे स्वास्थ्यवर्धक और प्राकृतिक उत्पाद के रूप में प्रमोट किया जा सकता है।

राजेंद्र सोनिया हल्दी की इस सफलता ने न केवल समस्तीपुर जिले के किसानों के लिए उत्साह और उम्मीद बढ़ाई है, बल्कि पूरे बिहार राज्य में हल्दी उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने की संभावनाओं को भी उजागर किया है।

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि भविष्य में इस हल्दी की किस्म को लेकर अधिक शोध और गुणवत्ता नियंत्रण किए जाएंगे, ताकि उत्पादन और औषधीय गुण स्थायी रूप से उच्च स्तर पर बने रहें। साथ ही, GI टैग मिलने के बाद इसे ब्रांडिंग और मार्केटिंग के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतारा जाएगा।

इस तरह, बिहार की 'राजेंद्र सोनिया' हल्दी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा चुकी है। किसान और कृषि वैज्ञानिक दोनों ही इसे स्थानीय उत्पादन से वैश्विक बाजार तक पहुंचाने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं।

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