नालंदा के हरगांवा में बन रहा है बिहार का पहला बहाई उपासना गृह, धार्मिक पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
नालंदा जिले के हरगांवा गांव में धार्मिक पर्यटन को एक नई ऊंचाई मिलने जा रही है। यहां देश का दूसरा और बिहार का पहला बहाई उपासना गृह बनकर तैयार हो रहा है, जो 2026 के अंत तक श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। यह उपासना गृह न केवल बहाई समुदाय के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होगा, बल्कि यह क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी एक नई दिशा देगा।
बहाई धर्म का महत्व
बहाई धर्म दुनिया भर में तेजी से फैल रहा एक प्रमुख धर्म है, जिसकी नींव 19वीं सदी में बाब और बहाउल्लाह द्वारा रखी गई थी। यह धर्म एकता, प्रेम, और शांति का संदेश देता है। बहाई उपासना गृह (जिसे आमतौर पर बहाई मंदिर भी कहा जाता है) में कोई पूजा पद्धति नहीं होती, बल्कि यह एक स्थान होता है जहां लोग ध्यान, प्रार्थना और शांति के लिए आते हैं। बहाई धर्म के अनुयायी इसे “सभी धर्मों की एकता” के सिद्धांत पर विश्वास करते हैं।
हरगांवा में बन रहा उपासना गृह
नालंदा जिले के हरगांवा गांव में बनने वाला यह उपासना गृह धार्मिक पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल साबित होगा। यह परियोजना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगी। इस मंदिर में विभिन्न धार्मिक समुदायों के लोग आकर शांति और ध्यान में लीन हो सकेंगे, जो इसकी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को बढ़ाएगा।
इस उपासना गृह का डिजाइन बहुत ही आकर्षक और विशेष होगा, जो बहाई धर्म की मूलभूत सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और इसे 2026 के अंत तक श्रद्धालुओं के लिए खोलने की योजना है।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
बहाई उपासना गृह का निर्माण न केवल नालंदा जिले के धार्मिक महत्व को बढ़ाएगा, बल्कि यह बिहार को एक नया धार्मिक पर्यटन केंद्र भी बनाएगा। भारत में पहले से ही दिल्ली और पुणे जैसे शहरों में बहाई उपासना गृह स्थापित हैं, लेकिन हरगांवा में बनने वाला यह दूसरा उपासना गृह न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत में एक महत्वपूर्ण स्थल होगा।
इससे पहले, बिहार में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जैसे बोधगया में बौद्ध धर्म के प्रमुख स्थल, पटना साहिब में सिखों का प्रमुख गुरुद्वारा, और अब हरगांवा में बहाई उपासना गृह। इस नए धार्मिक स्थल के बनने से न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि विदेशों से भी पर्यटक यहां आकर इस अद्वितीय स्थल का दर्शन करेंगे।
स्थानीय विकास और रोजगार के अवसर
उपासना गृह के निर्माण से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी। स्थानीय लोगों को निर्माण कार्य, पर्यटन, और मंदिर के संचालन में रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, धार्मिक पर्यटन से जुड़े व्यापारों जैसे होटल, परिवहन, और खानपान उद्योग को भी फायदा होगा।

