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बिहार में फिर बिफरी गंगा: जलस्तर में उफान, फरक्का बैराज के खुले सभी 108 गेट, लाखों लोगों पर मंडरा रहा खतरा

बिहार में फिर बिफरी गंगा: जलस्तर में उफान, फरक्का बैराज के खुले सभी 108 गेट, लाखों लोगों पर मंडरा रहा खतरा

बिहार में गंगा नदी ने एक बार फिर रौद्र रूप धारण कर लिया है। लगातार बढ़ते जलस्तर ने बक्सर से लेकर भागलपुर तक के जिलों में हालात बिगाड़ दिए हैं। खासकर कहलगांव और इसके आसपास के इलाकों में स्थिति अत्यधिक गंभीर हो गई है। नदी का जलस्तर कई स्थानों पर खतरे के निशान को पार कर चुका है, जिससे लाखों लोगों के जीवन और आजीविका पर संकट गहराने लगा है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बुधवार (23 जुलाई 2025) को प्रशासन ने पश्चिम बंगाल के फरक्का बैराज के सभी 108 गेट खोल दिए, ताकि गंगा के बढ़ते दबाव को कम किया जा सके। इस कदम का मकसद बाढ़ की भयावहता को कम करना है, लेकिन इसके चलते नीचे के जिलों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।

इन जिलों में बिगड़े हालात:

  • बक्सर, भोजपुर, पटना, लखीसराय, मोकामा, मुंगेर और भागलपुर सहित कई जिलों में गंगा का पानी खेतों, गांवों और शहर के निचले इलाकों में घुस चुका है।

  • कहलगांव और सुल्तानगंज में कई पंचायतें जलमग्न हो गई हैं।

  • फसलें बर्बाद, सड़कें जलमग्न और संचार सेवाएं बाधित होने की खबरें भी सामने आ रही हैं।

प्रशासन सतर्क, राहत कार्य शुरू:

राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने हालात पर कड़ी नजर रखी हुई है। कई प्रभावित इलाकों में आपदा प्रबंधन बल (SDRF और NDRF) की टीमें तैनात कर दी गई हैं। नावों और ट्रैक्टरों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

बिहार जल संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:

"गंगा का जलस्तर कई जिलों में चेतावनी के निशान को पार कर गया है। फरक्का बैराज के सभी गेट खोलने का निर्णय मजबूरी में लिया गया ताकि जलदबाव को बांधा न जा सके और स्थिति और ना बिगड़े।"

प्रभावितों के लिए सरकारी प्रयास:

  • कई स्थानों पर राहत शिविरों की स्थापना की गई है।

  • पेयजल, राशन, दवाइयों और चिकित्सकीय सेवाओं की व्यवस्था की जा रही है।

  • प्रभावित किसानों के लिए क्षतिपूर्ति योजना पर भी विचार किया जा रहा है।

आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण:

मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। प्रशासन को अलर्ट मोड पर रहने और संवेदनशील इलाकों से लोगों को तत्काल निकालने के निर्देश दिए गए हैं।

गंगा का यह उफान बिहार के लिए हर साल एक प्राकृतिक आपदा बनता जा रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अब भी समय रहते बाढ़ प्रबंधन और स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर लाखों लोगों को हर साल ऐसी त्रासदी झेलनी होगी।

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