बिहार में सरकारी शिक्षक बनने की चाह रखने वाले बाहरी अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में डोमिसाइल नीति पर बड़ा फैसला लिया गया। सरकार ने शिक्षक नियुक्ति में 84.4% सीटें डोमिसाइल यानी स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित कर दी हैं।
✅ क्या है नया नियम?
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बिहार शिक्षक बहाली में अब उन्हीं अभ्यर्थियों को डोमिसाइल का लाभ मिलेगा जिनके पास बिहार के शिक्षण संस्थानों से मैट्रिक या इंटर की डिग्री होगी।
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इसका सीधा अर्थ है कि अगर कोई उम्मीदवार बिहार का मूल निवासी है, लेकिन उसने मैट्रिक/इंटर बिहार से नहीं किया है, तो वह इस लाभ से वंचित रहेगा।
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84.4 प्रतिशत सीटें डोमिसाइल वालों के लिए आरक्षित होंगी। शेष 15.6 प्रतिशत सीटों पर ही बाहरी अभ्यर्थियों को अवसर मिलेगा।
⚠️ बाहरी अभ्यर्थियों पर प्रभाव
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दूसरे राज्यों के उम्मीदवारों के लिए बिहार में शिक्षक बनने की राह अब मुश्किल हो गई है।
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सरकार का तर्क है कि यह फैसला स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से लिया गया है।
🎯 फैसले के पीछे का मकसद
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बेरोजगारी से जूझ रहे बिहार के युवाओं को सरकारी नौकरी में बढ़त देना।
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स्थानीय संसाधनों पर स्थानीय युवाओं का अधिकार सुनिश्चित करना।
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राज्य में शिक्षा व्यवस्था को स्थानीय भाषाई और सामाजिक जरूरतों के अनुसार मजबूत करना।

