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बिहार के सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक की अर्धवार्षिक परीक्षा की तिथियां घोषित, 10 से 15 सितंबर तक होंगी परीक्षाएं

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बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए अर्धवार्षिक परीक्षा की तिथियों की घोषणा कर दी है। विभाग की ओर से जारी निर्देश के अनुसार, ये परीक्षाएं 10 से 15 सितंबर 2025 तक आयोजित की जाएंगी। सभी जिलों के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में परीक्षा एकसमान तिथि पर ली जाएगी।

कक्षा 1 और 2 की परीक्षा मौखिक रूप में

शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि कक्षा 1 और 2 के छात्रों की परीक्षा पूरी तरह मौखिक होगी। इन कक्षाओं के विद्यार्थियों के बौद्धिक, भाषा और संख्यात्मक विकास को ध्यान में रखते हुए उन्हें लिखित परीक्षा से मुक्त रखा गया है। मौखिक परीक्षा में बच्चों से कहानियां सुनाना, चित्र पहचानना, शब्दों का उच्चारण, गिनती आदि के माध्यम से मूल्यांकन किया जाएगा।

कक्षा 3 से 8 तक की परीक्षा दो पालियों में

कक्षा 3 से 8 तक के छात्रों के लिए परीक्षा लिखित रूप में ली जाएगी, जो कि दो पालियों में आयोजित की जाएंगी

  • पहली पाली सुबह 9:30 से 11:30 बजे तक चलेगी,

  • जबकि दूसरी पाली दोपहर 12:00 से 2:00 बजे तक होगी।

इन कक्षाओं के लिए विषयवार परीक्षा कार्यक्रम अलग से सभी स्कूलों को भेजा जाएगा, जिसमें परीक्षा तिथि, विषय, समय और पाली का स्पष्ट उल्लेख रहेगा।

शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अर्धवार्षिक परीक्षाओं का उद्देश्य सिर्फ छात्रों के अंकों का आकलन नहीं, बल्कि उनकी विषय समझ, पाठ्यक्रम की पकड़ और शिक्षक की प्रभावशीलता का मूल्यांकन भी है। इस परीक्षा के माध्यम से यह जाना जाएगा कि किन क्षेत्रों में छात्रों को और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।

प्रशासन को दिए गए निर्देश

जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO), प्रखंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) और सभी प्रधानाध्यापकों को यह निर्देश दिया गया है कि वे परीक्षा की सभी तैयारियां समय पर पूरी कर लें। इसमें प्रश्न पत्रों की छपाई, सुरक्षित वितरण, उत्तर पुस्तिकाओं की उपलब्धता और परीक्षा केंद्रों पर व्यवस्था सुनिश्चित करना शामिल है।

निष्कर्ष

बिहार सरकार की यह पहल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और समयबद्धता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अर्धवार्षिक परीक्षा छात्रों को न केवल सीखने की गति बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों को भी बच्चों की वास्तविक स्थिति का आंकलन करने में सहायक होगी। आगामी महीनों में बोर्ड और वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी के लिहाज से यह परीक्षा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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