Bihar Elections: चुनावी साल में नीतीश कुमार की इतनी दरियादिली क्यों, विवाह भवन से श्मशान घाट तक, लेकिन पैसा कहां से आएगा

बिहार चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार एक के बाद एक फैसले ले रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को ध्यान में रखते हुए नीतीश सरकार ने पिछली तीन कैबिनेट बैठकों में कुल 115 प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इनमें गरीबों के लिए विवाह भवन और श्मशान घाट का निर्माण भी शामिल है. लेकिन सवाल यह है कि चुनावी साल में नीतीश सरकार जनता पर इतनी मेहरबान क्यों है? आइए इन फैसलों के पीछे की कहानी और उनके मायने को सरल और दिलचस्प तरीके से समझते हैं. राजद इन प्रस्तावों को तुरंत लागू करने की मांग क्यों कर रहा है? नीतीश सरकार ने पिछली तीन कैबिनेट बैठकों 3 जून, 10 जून और 24 जून 2025 में कुल 115 प्रस्तावों को मंजूरी दी थी. 3 जून 2025 की बैठक में 47 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इन फैसलों में बक्सर और रोहतास में आवासीय विद्यालयों की स्थापना, बेगूसराय में बरौनी-तिलरथ रेलवे स्टेशन के बीच रोड ओवरब्रिज और गया में नया बाईपास शामिल हैं. इसके अलावा पंचायत सचिवों को जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया, जिससे ग्रामीण स्तर पर प्रशासनिक सेवाएं सुलभ होंगी।
नीतीश सरकार के त्वरित फैसले
जयप्रकाश नारायण अस्पताल में नए पद और सात डॉक्टरों की बर्खास्तगी जैसे फैसले लिए गए। 24 जून 2025 को हुई कैबिनेट की बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा हुई, जिसमें 46 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसमें 'मुख्यमंत्री कन्या लग्न मंडप योजना' के तहत सभी 8,053 पंचायतों में विवाह मंडप निर्माण के लिए 40 अरब 26 करोड़ 50 लाख रुपये की मंजूरी दी गई। इन भवनों का प्रबंधन जीविका दीदियों द्वारा किया जाएगा, जो गरीब परिवारों को विवाह के लिए सस्ते और सुसज्जित स्थान के साथ-साथ महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएंगी।
नीतीश सरकार की दरियादिली के मायने
इसके अलावा 'दीदी की रसोई' में भोजन की कीमत 40 रुपये से घटाकर 20 रुपये प्रति प्लेट कर दी गई है, जिसमें होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार करेगी। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं और नीतीश कुमार सरकार इस अवसर का उपयोग सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक पहुंचने के लिए कर रही है। 'मुख्यमंत्री कन्या लग्न मंडप योजना' और सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि जैसे फैसलों से गरीब परिवारों, महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों को सीधा लाभ मिलता है। बिहार में ग्रामीण और गरीब तबका एक बड़ा वोट बैंक है और इन योजनाओं के जरिए नीतीश सरकार इस तबके को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही है। विवाह घरों के निर्माण से गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ कम होगा, जिसे एक लोकप्रिय कदम के रूप में देखा जा रहा है।