Bihar Elections: बिहार में चुनाव आयोग 22 साल बाद क्यों करवा रहा है वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण, विपक्ष क्यों जता रहा है आपत्तियां

बिहार में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है। इसके तहत बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर लोगों से मतगणना फॉर्म भरवाएंगे। 25 जून से शुरू हुआ यह गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम 26 जुलाई तक चलेगा। इसके बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। चुनाव आयोग के इस प्रयास का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि इसी बहाने एनआरसी लागू किया जा रहा है। वहीं, सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं का कहना है कि विपक्ष चुनाव हारने का बहाना ढूंढ रहा है।
क्या कहता है चुनाव आयोग?
29 जून को चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। आयोग का कहना है कि बिहार में फिलहाल 7 करोड़ 89 लाख 69 हजार 844 मतदाता हैं। बिहार में आखिरी बार विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान 2002 में चलाया गया था। आखिरी व्यापक संशोधित मतदाता सूची 1 जनवरी 2003 को प्रकाशित हुई थी। इसमें 49.6 मिलियन मतदाताओं के नाम शामिल किए गए थे। आयोग का कहना है कि जिन मतदाताओं के नाम 2003 की मतदाता सूची में दर्ज थे, उन्हें सिर्फ अपने पंजीकरण की पुष्टि करके गणना फॉर्म भरना होगा। वहीं, अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता में से एक या दोनों का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, तो ऐसे व्यक्ति को विशेष व्यापक पुनरीक्षण में शामिल होने के लिए उनसे संबंधित कोई दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी। यह फॉर्म सिर्फ उन्हीं लोगों को भरना होगा, जिनका नाम 24 जून 2025 तक मतदाता सूची में दर्ज है।
क्यों किया जा रहा है व्यापक पुनरीक्षण
चुनाव आयोग का कहना है कि तेजी से हो रहे शहरीकरण, पलायन, युवाओं का मतदाता बनने के योग्य होना, मौतों की सूचना न देना और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम शामिल होने जैसे कई कारणों से मतदाता सूची का संपूर्ण पुनरीक्षण अभियान जरूरी है। इससे त्रुटिरहित मतदाता सूची तैयार हो सकेगी। आयोग का कहना है कि मतदाता सूची में सुधार के लिए सघन अभियान से यह सुनिश्चित होगा कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में दर्ज हों, ताकि वे अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें और सूची में ऐसा कोई व्यक्ति न हो जो मतदान के योग्य न हो। आयोग का कहना है कि मतदाता सूची में नाम जोड़े जाएंगे और जिनके नाम सत्यापित नहीं हैं, उन्हें हटाया जाएगा। आयोग का कहना है कि वह पात्र मतदाताओं की पहचान करने और उन्हें पंजीकृत करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 का उपयोग करेगा।
मतदाता के पास जाने वाले बीएलओ के पास आंशिक रूप से भरे गए फॉर्म की दो प्रतियां होंगी। मतदाता को इन्हें भरना होगा। इसके बाद बीएलओ मतदाता से जरूरी कागजात लेकर ईसीआईनेट मोबाइल एप्लीकेशन में अपलोड करेगा। मतदाता को फॉर्म भरने की रसीद भी दी जाएगी। चुनाव आयोग ने कहा है कि यह पूरी प्रक्रिया