
गुजरात की विसावदर सीट पर हुए उपचुनाव में मिली जीत से खुश अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि वे बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और अकेले ही लड़ेंगे। यानी बिहार विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की अकेले मौजूदगी तीसरे मोर्चे की ओर भी बढ़ती दिख रही है, जिस पर असदुद्दीन ओवैसी की नजर है। सवाल यह है कि दिल्ली से निकलकर पंजाब पहुंची और फिर गुजरात और गोवा में कुछ प्रभाव रखने वाली अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी बिहार में क्या हासिल कर पाएगी, जब उस पार्टी का बिहार में कोई नेता या कार्यकर्ता ही नहीं है? क्या केजरीवाल बिहार विधानसभा चुनाव में सिर्फ खेल बिगाड़ने आए हैं या फिर वे एक बार फिर 2014 की गलती दोहरा रहे हैं, जिसमें उन्होंने वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़कर खुद को बदनाम किया था। अरविंद केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि अब वे 'अकेले चलो' टाइप के हो गए हैं। किसी राजनीतिक दल से दोस्ती नहीं है और अब सब दुश्मन हैं, लेकिन केजरीवाल का सबसे बड़ा राजनीतिक दुश्मन कौन है? जाहिर है इसका जवाब तो सभी जानते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक करियर में अगर किसी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है तो वो कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस है। अपने गठन के साथ ही आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में कदम रखा और सबसे पहले कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया, जिससे शीला दीक्षित जैसी कद्दावर नेता का पूरा राजनीतिक करियर खत्म हो गया। और जब आप दिल्ली से निकलकर पंजाब पहुंची तो वहां भी उसने न सिर्फ कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया, बल्कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को दो सीटों से हराकर उनकी राजनीति पर भी सवालिया निशान लगा दिया। गुजरात में भी आप ने बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था।