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Bihar Elections: विधानसभा चुनाव से बिहार में राजनीतिक घमासान, दलित वोट बैंक को लेकर चिराग और मांझी के बीच खींचतान शुरू

विधानसभा चुनाव से बिहार में राजनीतिक घमासान, दलित वोट बैंक को लेकर चिराग और मांझी के बीच खींचतान शुरू

बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। इस बार दलित वोट बैंक को लेकर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच कड़ी खींचतान देखने को मिल रही है। दोनों नेता दलित वोटों पर अपने कब्जे को लेकर एक-दूसरे पर बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे राज्य की राजनीतिक स्थितियों में और भी उथल-पुथल देखने को मिल रही है।

चिराग और मांझी का बढ़ता सियासी तनाव

चिराग पासवान, जिनकी लोजपा (रामविलास) ने पिछले चुनावों में दलित वोटों में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी का दावा किया था, अब जीतन राम मांझी की हम पार्टी (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) को चुनौती दे रहे हैं।

  • चिराग पासवान का कहना है कि लोजपा ही दलितों की असली आवाज है और बिहार के दलित समुदाय को एकजुट कर चुनावी मैदान में उतरने का दावा किया है।

  • वहीं, जीतन राम मांझी, जो पहले महादलित समुदाय के बीच अपनी पकड़ बनाने के लिए कई सामाजिक और राजनीतिक कदम उठा चुके हैं, अब चिराग पासवान के बयान को राजनीतिक साजिश और गठबंधन को कमजोर करने की कोशिश मानते हैं।

दलित वोट बैंक पर काबिज होने की कोशिश

  • चिराग पासवान की पार्टी का ऐलान है कि वे दलित और महादलित समुदाय को अपनी प्राथमिकता में रखेंगे, और इन वर्गों के लिए सशक्तिकरण के एजेंडे पर काम करेंगे।

  • दूसरी ओर, जीतन राम मांझी भी दावा कर रहे हैं कि महादलितों का सबसे बड़ा हितैषी वे हैं, और उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ इस समुदाय की समाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने पर रहेगा।

राजनीतिक समीकरण पर प्रभाव

चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच बढ़ती तकरार राजनीतिक गठबंधनों पर भी असर डाल सकती है।

  • महागठबंधन में शामिल होने की संभावना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर राजद और महागठबंधन के अन्य सहयोगियों के बीच इन दोनों नेताओं को लेकर समीकरण बनाए जा रहे हैं।

  • दोनों नेताओं का दलित वोट बैंक पर दावा राज्य में आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, और दोनों की तरफ से चुनावी रणनीति को लेकर तकरार तेज हो सकती है।

चुनाव में संभावित गठबंधन और उसकी रणनीति

बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच इस राजनीतिक खींचतान को दलित समुदाय की वोटिंग पावर और आधिकारिक नेतृत्व के रूप में देखा जा सकता है।

  • यह भी माना जा रहा है कि चिराग और मांझी के बीच संभावित गठबंधन से बिहार में समीकरण बदल सकते हैं, हालांकि फिलहाल दोनों में किसी ठोस गठबंधन की कोई घोषणा नहीं हुई है।

चुनाव की दिशा और भविष्य

चुनाव में दलित वोट का महत्वपूर्ण असर होने के कारण, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की इस खींचतान का असर आगामी चुनावों के वोट शेयर पर पड़ सकता है। राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने पक्ष में करने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।

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