Bihar Election: 'मौलाना तेजस्वी'... वक्फ कानून पर बिहार में सियासी घमासान, बीजेपी ने RJD को घेरा

रविवार को पटना के गांधी मैदान में मुसलमानों की बड़ी भीड़ मौजूद थी और तेजस्वी यादव भी वहां मौजूद थे. एनडीए सरकार को वक्फ एक्ट को लेकर घेरा जा रहा था. तब शायद तेजस्वी को अंदाजा हो गया होगा कि वो जो कुछ भी कर रहे हैं और कह रहे हैं, बीजेपी उसे नया मोड़ देगी- ध्रुवीकरण का मोड़. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा- 'इस देश को इस्लामिक देश बनाने की कोशिश की जा रही है. वो शरिया कानून लागू करना चाहते हैं. मौलाना तेजस्वी यादव संविधान नहीं जानते. शरिया और हलाला पसंद है गौरव भाटिया ने कहा कि आरजेडी अगले 50 सालों तक बिहार की सत्ता में नहीं आएगी. अंबेडकर जी हमारे लिए पूजनीय हैं. तेजस्वी यादव और लालू यादव सांप्रदायिक राजनीति करते हैं. वो हिंदू और मुस्लिम की राजनीति कर रहे हैं. बीजेपी का हमला बढ़ता गया और शरिया और हलाला तक पहुंच गया. गौरव भाटिया ने कहा कि तेजस्वी और उनकी पार्टी शरिया और हलाला को तरजीह देती है. मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही आरजेडी दरअसल, रविवार को पटना में तेजस्वी यादव ने नए वक्फ एक्ट को कूड़ेदान में फेंकने की बात कही थी. तेजस्वी के बयान के बाद बीजेपी आक्रामक हो रही है और लगातार उन्हें नमाजवादी कह रही है. पटना के गांधी मैदान में वक्फ बचाओ संविधान बचाओ रैली में तेजस्वी यादव ने जो कुछ भी कहा, उससे साफ है कि मुस्लिम वोटों को अपनी ओर खींचने के लिए आरजेडी आगे बढ़ेगी. आरजेडी मुस्लिम वोटों में किसी भी तरह का बंटवारा नहीं चाहती है और उन्हें पूरी तरह से अपनी ओर खींचने के लिए उसने वक्फ एक्ट को खत्म करने का कदम उठाया है. आरजेडी अपने मुख्य माई समीकरण को बरकरार रखना चाहती है जिसमें 18 फीसदी मुस्लिम वोट काफी अहम हो जाते हैं. तेजस्वी के 'कचरादान' वाले रुख से पता चलता है कि वह मुसलमानों के बीच अपनी जगह बनाना चाहते हैं, ठीक वैसे ही जैसे उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने 1990 में आडवाणी की राम रथ यात्रा को रोककर किया था. हां, यह भी सच है कि अगर तेजस्वी ने मुस्लिम वोटों को साधने के लिए वक्फ एक्ट को खत्म करने की चाल चली है, तो बीजेपी ने इसे मुस्लिम तुष्टिकरण से जोड़ दिया है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आरजेडी और बीजेपी के कदमों ने जेडीयू की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पार्टी न तो खुलकर बीजेपी का समर्थन कर सकती है और न ही खुलकर उसका विरोध कर सकती है. इस बीच, कांग्रेस के सामने सवाल यह है कि क्या तेजस्वी अकेले ही अल्पसंख्यक वोटों को छीन लेंगे, जिन पर उसकी नजर है।